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पांच साल से नलजल योजना बंद पड़ी, दूषित पानी पीने के लिए ग्रामीण मजबूर

बैतूल। भीमपुर ब्लॉक के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत पिपरिया (गुरवा) के मोहल्ला सरपंच ढाना में पेयजल संकट लगातार गहराता जा रहा है। ग्रामीणों ने मंगलवार को जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर जनसुनवाई में ज्ञापन सौंपकर पेयजल की व्यवस्था शीघ्र कराने की मांग की है। महिलाएं अपने साथ एक बोतल में दूषित पानी भी भरकर आई […]

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बैतूल। भीमपुर ब्लॉक के अंतर्गत आने वाली ग्राम पंचायत पिपरिया (गुरवा) के मोहल्ला सरपंच ढाना में पेयजल संकट लगातार गहराता जा रहा है। ग्रामीणों ने मंगलवार को जिला कलेक्टर कार्यालय पहुंचकर जनसुनवाई में ज्ञापन सौंपकर पेयजल की व्यवस्था शीघ्र कराने की मांग की है। महिलाएं अपने साथ एक बोतल में दूषित पानी भी भरकर आई थी। कलेक्टर को बोतल का पानी दिखाकर बताया कि इस तरह का दूषित पानी पीने के लिए हम सभी मजबूर है।
ग्रामीणों ने ज्ञापन में बताया कि मोहल्ला सरपंच ढाना में बीते कई वर्षों से पीने के पानी की गंभीर समस्या बनी हुई है। लगभग पांच वर्ष पूर्व नलजल योजना की शुरुआत तो की गई थी, लेकिन आज तक नल से पीने योग्य पानी की आपूर्ति शुरू नहीं हो पाई है। योजना के अधूरे रहने से ग्रामीणों को दूर-दराज से पानी लाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है, जिससे महिलाओं और बुजुर्गों को सबसे अधिक परेशानी झेलनी पड़ रही है। ग्रामीणों का कहना है कि कई बार संबंधित विभाग और पंचायत स्तर पर शिकायत की जा चुकी है, लेकिन समस्या का स्थायी समाधान नहीं हो सका। अंतत: सभी ग्रामवासियों ने एकजुट होकर जिला प्रशासन से हस्तक्षेप की मांग की है। ग्रामीणों ने कलेक्टर से आग्रह किया है कि मोहल्ला सरपंच ढाना में तत्काल पेयजल की व्यवस्था कराई जाए और नलजल योजना को शीघ्र चालू किया जाए, ताकि लोगों को स्वच्छ पेयजल मिल सके।
प्रधानमंत्री आवास के नाम पर निजी भूमि नापने का आरोप, पीडि़ता ने प्रशासन से कार्रवाई की मांग की
बैतूल। विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत गोराखार में जमीन से जुड़े विवाद का मामला जनसुनवाई तक पहुंच गया है। शिकायतकर्ता महिला इमला नर्रे ने प्रशासन को दिए आवेदन में आरोप लगाए हैं कि ग्राम पंचायत गोराखार के सरपंच, कोटवार, ग्राम रोजगार सहायक और हल्का पटवारी की मिलीभगत से उसकी आवास से लगी खाली भूमि को जबरन नापकर पड़ोसी सुखलाल को दे दी गई। आवेदन में महिला ने बताया कि प्रधानमंत्री आवास स्वीकृत होने के बाद उसकी सहमति के बिना उसकी बागुड़ तोडकऱ पट्टे से अधिक जमीन नापी गई और उस भूमि पर निर्माण भी शुरू कर दिया गया। विरोध करने पर ग्राम पंचायत में बुलाकर उससे आपसी राजीनामे के नाम पर जबरन अंगूठा लगवाने का भी आरोप लगाया गया है। महिला का कहना है कि शिकायत करने की बात पर पंचायत पदाधिकारियों द्वारा डराने-धमकाने और अपमानजनक भाषा का प्रयोग किया गया।