
पुलिस ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है।
बैतूल। जिले में सामने आए अब तक के सबसे बड़े संगठित साइबर ठगी और अवैध ऑनलाइन बेटिंग नेटवर्क के मामले में पुलिस लगातार नए खुलासे कर रही है। सभी के तार खेड़ीसांवलीगढ़ स्थित बैंक ऑफ महराष्ट्र से जुड़े हैं। पुलिस ने मामले में तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया है। एक आरोपी की फर्म अश्विन एग्रो के खाते से बैतूल और अन्य खातों में हुआ 10.12 करोड़ का ट्रांजेक्शन सामने आया है। फर्जी फर्म के माध्यम से यह राशि चालू खातों में भेजी जाती थी। इसके बाद से म्यूल खातों के माध्यम से आगे ट्रांसफर की जाती थी। करोड़ों का यह खेल चलता था। जिसमें सभी आरोपियों की अपनी अलग-अलग भूमिका थी। मामले के नए खुलासे का एसपी वीरेन्द्र जैन,एएसपी कमला जोशी और साइबर टीम ने जानकारी दी।
अभी तक नौ आरोपी गिरफ्तार
एसपी वीरेन्द्र जैन ने बताया फर्जी फर्म, म्यूल खातों, अवैध सिम बिक्री एवं अकाउंट खरीद-फरोख्त सहित साइबर धोखाधड़ी के इस बड़े खेल में अभी तक नौ आरोपियों की गिरफ्तारी की जा चुकी है। १४ दिसंबर को पुलिस ने तीन आरोपियों अश्विन धर्मवाल (खंडवा से गिरफ्तार), प्रवीण जयसवाल (खंडवा से गिरफ्तार) और पीयूष राठौड़ बैतूल से गिरफ्तार किया है। आरोपियों से एक-एक मोबाइल फोन जब्त किया गया है, जिनमें अवैध लेन-देन, संपर्क सूत्र एवं डिजिटल साक्ष्य पाए गए हैं। जब्त सामग्री को फॉरेंसिक जांच के लिए भेजा जा रहा है। जब्त डिजिटल उपकरणों का गहन फॉरेंसिक विश्लेषण, अवैध ऑनलाइन बेटिंग व साइबर ठगी की मनी-ट्रेल की विस्तृत जांच सहित नेटवर्क से जुड़े अन्य फरार एवं सहयोगी आरोपियों की तलाश जा रही है। इसके पहले 20 नवंबर को राजा उर्फ आयुष चौहान, अंकित राजपूत अपौर नरेंद्र सिंह राजपूत और ७ दिसंबर को,अमित अग्रवाल (इंदौर से गिरफ्तार),11 दिसंबर राजेन्द्र राजपूत, ब्रजेश महाजन को गिरफ्तार किया है। वही पुलिस अब इस रैकेट के मुख्य आरोपी तक पहुंचने का प्रयास कर रही है। राज्य स्तर से पूरे मामले की जांच करवाई जाएगी। मामले में पहले 9.84 करोड़ से अधिक के अवैध ऑनलाइन लेन-देन का खुलासा हो चुका है। नए मामले में एक म्यूल खाते में सात माह के भीतर 10 करोड़ से अधिक का ट्रांजेक्शन पाया गया है।
करंट एकाउंट के लिए आरोपियों ने खोली फर्जी फर्म
पुलिस जांच में यह भी पाया गया कि किसी फर्म व कंपनी का करंट अकाउंट खुलवाने के लिए फर्जी दुकानों,प्रतिष्ठानों का दिखावा किया जाता था। इन दुकानों में नकली सामग्री, खाली बोतलें, डमी स्टॉक एवं फर्जी साइन बोर्ड रखे जाते थे, ताकि बैंक निरीक्षण के दौरान प्रतिष्ठान वास्तविक प्रतीत हो और बैंक अधिकारियों द्वारा चालू खाता खोल दिया जाए। खाता खुलने के बाद उसकी किट एवं नियंत्रण अन्य सहयोगी आरोपियों को सौंप दिया जाता था, जिनका उपयोग अवैध ऑनलाइन बेटिंग एवं साइबर ठगी की राशि के बड़े पैमाने पर लेन-देन के लिए किया जाता था। जांच में यह भी सामने आया है कि करंट अकाउंट में डेबिट फ्रीज़ की सुविधा नहीं होने एवं उच्च ट्रांजेक्शन सीमा उपलब्ध होने के कारण अपराधियों द्वारा करोड़ों रुपये के निरंतर ट्रांजेक्शन इन्हीं खातों के माध्यम से किए जाते थे।
करंट एकाउंट की मिलती थी अधिक राशि
पुलिस ने बताया कि फर्जी खाता उपलब्ध कराने के लिए राशि तय थी। सेविंग अकाउंट उपलब्ध कराने पर 10,000 प्रति खाता और चालू (करंट) अकाउंट उपलब्ध कराने पर 26,500 प्रति खाता दिया जाता था। करंट खाते के अधिक रुपए दिए जाते थे,क्योंकि यह होल्ड नहीं होता था।
फर्जी फर्म के जरिए म्यूल खातों को फंडिंग
आरोपी अश्विन धर्मवाल
अश्विन धर्मवाल द्वारा जानबूझकर अश्विन एग्रो (खिरकिया, जिला हरदा) नामक फर्जी फर्म पंजीकृत कराई गई और उसका चालू खाता अवैध ऑनलाइन बेटिंग एवं साइबर ठगी के लेन-देन के लिए अन्य आरोपियों को सौंप दिया गया। पैसों के लालच में अपराध की जानकारी होते हुए भी खाते का दुरुपयोग होने दिया गया, जिससे लगभग 2 करोड़ 70 लाख की राशि म्यूल खातों में जमा हुई। फर्म अश्विन एग्रो के खाते से बैतूल सहित अन्य खातों में कुल 10 करोड़ 12 लाख की अवैध राशि का ट्रांजेक्शन पाया गया।
प्रवीण जयसवाल
फर्जी फर्म खुलवाने में मास्टर माइंड
आरोपी बैंक खाते खुलवाने और उन्हें आगे उपलब्ध कराने वाला प्रमुख सदस्य रहा है। जांच में सामने आया कि अश्विन एग्रो फर्म खुलवाने में इसकी निर्णायक भूमिका रही। इसके साथ ही बालाजी कंस्ट्रक्शन और ऑटो पार्ट्स की भी फर्जी फर्म खुलवाई गई। फर्म के नाम पर लेन-देन किया। प्रवीण द्वारा अब तक खरगोन, खंडवा, हरदा, इंदौर एवं जालगांव (महाराष्ट्र) में लगभग 50 व्यक्तियों के बैंक खाते खुलवाए गए, जिनमें से करीब 20 चालू खाते हैं। चालू खातों की किट अन्य सहयोगी आरोपियों को अवैध लेन-देन के लिए सौंप दी जाती थी।
ग्राहकों की दूसरी फर्जी सिम बनाता था
पीयूष राठौड़
आरोपी द्वारा अवैध रूप से सिम कार्ड उपलब्ध कराए जाने का खुलासा हुआ है। वह ग्राहकों को भ्रमित कर दो बार बायोमेट्रिक प्रक्रिया कराता था। एक सिम ग्राहक को देकर दूसरी सिम अपने पास रख लेता था, जिसे बाद में अपराधियों को बेच दिया जाता था। जांच में यह भी पाया गया कि पीयूष द्वारा राजा को 02 सिम 5,000 रुपए में बेची गई।
Published on:
15 Dec 2025 08:51 pm
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