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दिवाली से पहले शिक्षकों के वेतन को लेकर आई खुशखबरी, पत्रिका ने उठाया था मुद्दा

राज्य सरकार ने महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलकर उनमें स्थानीय स्तर पर शिक्षकों को लगाया था, लेकिन इसके बाद शिक्षा विभाग ने बाहर से शिक्षक बुलाकर इन स्कूलों में लगा दिया।

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राज्य सरकार ने महात्मा गांधी अंग्रेजी माध्यम स्कूल खोलकर उनमें स्थानीय स्तर पर शिक्षकों को लगाया था, लेकिन इसके बाद शिक्षा विभाग ने बाहर से शिक्षक बुलाकर इन स्कूलों में लगा दिया। ऐसे में पहले से इन स्कूलों में लग रहे शिक्षक सरप्लस हो गए। इस बेतुकी व्यवस्था के चलते स्थानीय शिक्षकों को इन स्कूलों से हटना पड़ा और उन्हें इन स्कूलों से एपीओ कर डीईओ ऑफिस भेज दिया, लेकिन यहां भी इन शिक्षकों के लिए जगह नहीं होने के कारण उन्हें पीईओ के पास भेज दिया गया, लेकिन पदस्थापन नहीं मिलने के कारण ऐसे शिक्षकों का अगस्त-सितम्बर माह का वेतन नहीं बन सका। इन तुगलगी फरमानों के चलते त्योहारी सीजन में शिक्षकों का वेतन अटक गया, लेकिन अब पत्रिका की ओर से उठाए गए मुद्दे के बाद ऐसे शिक्षकों का वेतन मिलने का रास्ता साफ हो गया है।
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पत्रिका ने उठाया था मुद्दा
पत्रिका ने 24 अक्टूबर को ‘एक चूक और गुरुजी के त्योहारी अरमान चौपट’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। इसके बाद 27 अक्टूबर को ‘पीईईओ के माथे मढ़ी जिम्मेदारी, वेतन अभी भी अधरझूल’ शीर्षक से खबर प्रकाशित की थी। पत्रिका ने खबरों में बताया था कि त्योहारी माह अक्टूबर में भी शिक्षकों के वेतन के लाले पड़ रहे हैं। इसमें यह भी बताया था कि जहां पद रिक्त हैं, वहां से ऐसे शिक्षकों का वेतन उठवाया जा सकता है। अब इसके बाद शिक्षा विभाग की ओर से आदेश जारी कर ऐसे करीब 172 शिक्षकों का वेतन दिए जाने के निर्देश दिए हैं।
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शिक्षा विभाग को इसके लिए पहले ही चेतना चाहिए था। शिक्षकों को इससे काफी तकलीफ हुई है। किसी की एमआई कट गई तो किसी ने किराया तक नहीं चुकाया।
- पवन शर्मा, प्रदेश महामंत्री राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत भरतपुर


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