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Rajasthan : अब बिना दस्तावेज मिलेगा सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क इलाज, सीएम भजनलाल ने दी सहमति

Rajasthan : राजस्थान के असहाय ‘प्रभुजनों’ को बड़ी राहत। अब बिना दस्तावेज सरकारी अस्पतालों में नि:शुल्क इलाज मिलेगा।

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Rajasthan government hospitals free treatment without documents CM Bhajanlal given approval

फाइल फोटो पत्रिका

Rajasthan : राजस्थान में असहाय, निराश्रित, लावारिस और अज्ञात रोगियों के लिए एक ऐतिहासिक एवं मानवता-प्रधान पहल साकार हुई है। अब ऐसे रोगी, जिन्हें अपना घर आश्रम में ‘प्रभुजन’ कहा जाता है और जिनके पास कोई पहचान पत्र या दस्तावेज उपलŽध नहीं हैं, उन्हें भी प्रदेश के सरकारी मेडिकल कॉलेजों एवं संबद्ध चिकित्सालयों में नि:शुल्क और प्राथमिकता के आधार पर समुचित उपचार मिल सकेगा।

इसके लिए मां माधुरी बृज वारिस सेवा सदन अपना घर संस्था, चिकित्सा शिक्षा विभाग, और सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के बीच एक त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता देश में अपनी तरह का पहला है, जिसमें बिना पहचान और दस्तावेज वाले असहाय रोगियों के इलाज के लिए औपचारिक और स्थायी व्यवस्था की गई है।

मुख्यमंत्री की संवेदनशील पहल

इस ऐतिहासिक एमओयू के पीछे राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा का निर्णायक योगदान रहा। उनकी सोच के चलते यह सुनिश्चित हो सका कि वर्षों से केवल पहचान के अभाव में चिकित्सा सुविधाओं से वंचित रहे प्रभुजनों को भी समान अधिकार और सम्मान के साथ इलाज मिल सके। यह समझौता राज्य सरकार के दो वर्ष पूर्ण होने और मुख्यमंत्री के जन्मदिवस के अवसर पर जयपुर में आयोजित राज्य स्तरीय कार्यक्रमों में संपन्न कराया गया।

अब दस्तावेज नहीं बनेंगे बाधा

एमओयू के तहत यदि अपना घर आश्रम अपने आधिकारिक लेटरहेड पर यह प्रमाणित करता है कि संबंधित रोगी आश्रम में निवासरत असहाय या लावारिस प्रभुजन है तो उसी आधार पर उसे ओपीडी, आईपीडी, दवाइयां, पैथोलॉजिकल जांच, ऑपरेशन एवं इम्प्लांट सहित सभी आवश्यक चिकित्सा सुविधाएं नि:शुल्क और प्राथमिकता से उपलब्ध कराई जाएंगी।

इस समझौते के अंतर्गत राजस्थान के 35 मेडिकल कॉलेजों, उनसे संबद्ध 78 सरकारी चिकित्सालयों तथा प्रदेश में संचालित अपना घर आश्रम की 25 शाखाओं में निवासरत प्रभुजनों को व्यापक चिकित्सा लाभ मिलेगा।

एमओयू के अनुसार अपना घर आश्रम प्रभुजनों को अस्पताल तक लाने-ले जाने, उपचार के दौरान सेवासहयोग, आश्रमों में मेडिकल कैंपों की व्यवस्था और मृत्यु की स्थिति में अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी निभाएगा। यह त्रिपक्षीय समझौता तीन वर्षों की अवधि के लिए प्रभावी रहेगा, जिसका नवीनीकरण आपसी सहमति से किया जा सकेगा।

मानवता के पक्ष में मील का पत्थर

यह पहल उन प्रभुजनों के लिए नई जीवन-रेखा साबित होगी, जिनके पास अब तक केवल पीड़ा थी, पहचान नहीं। सेवा, संवेदना और सामाजिक न्याय के क्षेत्र में यह समझौता राजस्थान ही नहीं, पूरे देश के लिए एक अनुकरणीय मॉडल बनेगा।
विनोद सिंघल, सचिव अपना घर आश्रम