
घना के आसपास ईको सेंसेटिव जोन को बचाए रखने के प्रति खुद सरकार भी गंभीर नजर नहीं आती। यही वजह है कि घना के सामने स्थित केन्द्रीय पौधशाला की जमीन में जहां कभी हरे-भरे वृक्ष खड़े रहते थे वहां सरकार खुद की अपने कार्यालय बनाए जा रही है। केन्द्रीय पौधशाला का काफी हिस्सा अब पक्के निर्माण में बदल चुका है।
घना के पांंच सौ मीटर के दायरे मेें ईको सेंसेटिव जोन की पालना के नाम पर घना प्रशासन यहां पर्यटन इकाइयों को वैध तरीके से अपने प्रतिष्ठान संचालित करनेे के लिए उन्हें एनओसी जारी नहीं करता। यह बात और है कि रसूखदारों ने उसकी एनओसी की कभी परवाह नहीं की और धडल्ले से घना के आसपास व्यावसायिक निर्माण कर डाले। खुद सरकार ने भी ईको सेेंन्सेटिव जोन की पालना की ङ्क्षचता नहीं की।
यही वजह है कि घना से महज कुछ ही मीटर दूर स्थित वन विभाग की केन्द्रीय पौधशाला को विभाग ही कन्क्रीट के जंगल में बदलने को आमादा है। पौधशाला के पीछे भाग में कुछ वर्ष पहले ही सरकारी अधिकारी का निवास बना दिया गया। अब पौधशाला के प्रवेश द्वार के ठीक बगल में एक और विशाल भवन बनाया जा रहा है। इस भवन का काफी हिस्सा बन भी चुका है। पौधशाला में लगातार भवन निर्माण से इसका आकार लगातार छोटा होता जा रहा है।
अवैध गतिविधियों पर नहीं अंकुश
इसके साथ ही घना प्रशासन ने कभी साइलेंस जोन की पालना कराने में रुचि नहीं दिखाई है। घना के आसपास कई मैरिज होम संचालित हैं जहां देर रात तक शोर-शराबा तथा आतिशबाजी होती रहती है। यातायात जाम की समस्या भी यहां गंभीर रूप ले चुकी है।
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