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शिक्षकों की कमी से जूझते प्रारम्भिक शिक्षा विभाग में प्राइमरी स्कूल ही नहीं बल्कि एक दर्जन से अधिक मिडिल स्कूल भी ऐसे हैं, जिनमें एक-एक शिक्षक कार्यरत हैं और वे आठ-आठ कक्षाओं को पढ़ा रहे हैं।

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Rajesh Kumar Khandelwal

Jul 21, 2017

शिक्षकों की कमी से जूझते प्रारम्भिक शिक्षा विभाग में प्राइमरी स्कूल ही नहीं बल्कि एक दर्जन से अधिक मिडिल स्कूल भी ऐसे हैं, जिनमें एक-एक शिक्षक कार्यरत हैं और वे आठ-आठ कक्षाओं को पढ़ा रहे हैं।

इनमें भी कहीं पीटीआई (शारीरिक शिक्षक) तो कहीं उधारी के शिक्षक से काम चलाया जा रहा है। इस मामले में विभागीय नियमों और सरकार की मंशा को पलीता लग रहा है। छात्रों की संख्या के मुताबिक जितने शिक्षक होने चाहिए, उतने हैं नहीं।

एकल शिक्षक मिडिल स्कूल

बयाना: पीर्परा, जरुअर, लालबस्ती, बयाना।
पहाड़ी: मंूगस्का, मालीकी।
नगर: छापर।
कुम्हेर: नगला खुर्द।
सेवर: भरंगपुर, मालोनी।
रूपवास: समाहद, श्रीखुर्द।
कामां: अकबरपुर।
भरतपुर शहर: गोपालगढ़, भरतपुर।

होना यह चाहिए

- किसी भी मिडिल स्कूल में कम से कम संस्थाप्रधान सहित पांच शिक्षक होने चाहिए।
- मिडिल स्कूल में बच्चों का नामांकन डेढ़ सौ है तो ऐसे स्कूल में एक संस्था प्रधान, तीन शिक्षक लेवल द्वितीय के, दो शिक्षक लेवल प्रथम के होने चाहिए।
-किसी मिडिल स्कूल में बच्चों की नामांकन संख्या 120 से अधिक है तो ऐसे स्कूल में पीटीआई भी होना जरूरी है।

राजकीय बालिका मिडिल स्कूल गोपालगढ़,
भरतपुर


नामांकन: 150 बच्चे
शिक्षक: एक (पीटीआई)
कमरे: चार
हालात: करीब 7 माह पहले लगाए एकमात्र शिक्षक बालकृष्ण बंसल को सैकण्डरी सैटअप के तहत स्कूल से हटा लिया है। हालांकि ये अभी कार्यमुक्त नहीं हुए हैं। लेकिन इनके कार्यमुक्त होने के बाद यह स्कूल फिर से पीटीआई कुसुम मुदगल के भरोसे संचालित होगा। शिक्षक बंसल के लगाने से पहले भी यह स्कूल पीटीआई के ही हवाले था। बच्चों को खुले में बिठाकर सामूहिक रूप से पढ़ाने की मजबूरी है। स्कूल के पिछवाड़े पानी भरा रहता है। चारदीवारी नहीं होने के कारण कभी कोई बच्चा उधर चला जाए तो हादसा भी हो सकता है।

राजकीय मिडिल स्कूल, मालीकी

नामांकन:48 बच्चे
शिक्षक: एक (व्यवस्थागत)
कमरे:एक
हालात: 16 दिसम्बर, 15 से राउप्रावि, चन्दूपुरा से सुखदेव चौधरी को स्कूल में लगाया था। तभी से वे अकेले हैं। पहले यह यह प्राइमरी स्कूल था, जो वर्ष 2013 में मिडिल में क्रमोन्नत कर दिया। वर्ष 2010 से ही इस स्कूल में किसी शिक्षक की निुयक्ति नहीं हुई है और तभी से उधारी के शिक्षकों के भरोसे चलाया जा रहा है। पानी-बिजली, खैल मैदान जैसी कोई सुविधा नजर नहीं आती। एक ही कमरा होने के कारण बच्चों को सामूहिक रूप से बिठाकर पढ़ाना मजबूरी है। गत वर्ष 7वीं के बच्चे टीसी कटा ले गए। इस बार 8वीं कक्षा में कोईछात्र ही नहीं है।

-शिक्षकों की कमी के कारण मिडिल स्कूल भी प्रभावित हैं। पीईईओ चाहें तो अपने क्षेत्राधिकार में एक स्कूल से दूसरे स्कूल में व्यवस्था के तहत शिक्षक लगाकर काम चला सकता है। प्रतिनियुक्ति पर शिक्षक नहीं लगाया जा सकता।
सुनील गुप्ता, अतिरिक्त जिला शिक्षा अधिकारी (प्राशि), भरतपुर