भरतपुर. राज्य व केंद्र सरकार की ओर से देहदान के प्रति प्रोत्साहित किया जा रहा है, लेकिन भरतपुर मेडिकल कॉलेज की लापरवाही के कारण देहदान के बाद देह के अपमान करने का मामला सामने आया है। देहदान करने वाले कामां के समाजसेवी मुरारीलाल सक्सेना का निधन सोमवार शाम सात बजे हो गया। सूचना के बाद भी भरतपुर मेडिकल कॉलेज की टीम बॉडी लेने कामां नहीं पहुंची। जिम्मेदारों को फोन करने पर कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। मृतक के रिश्तेदार की सिफारिश पर बॉडी को आरबीएम अस्पताल की मोर्चरी में रखवाया गया।
डीग जिले के कामां कस्बे के कल्याण मोहल्ला में रहने वाले मुरारीलाल सक्सेना (93) शाम करीब छह बजे अचानक तबियत बिगड़ गई। इसके बाद परिजन उन्हें कामां के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे। कुछ देर बाद ही उन्होंने दम तोड़ दिया। रात करीब नौ बजे बाद देहदान के प्रपत्र पर लिखे मोबाइल नंबर फोन किया तो संबंधित ने देह को छह घंटे के अंदर भरतपुर लाने को कह दिया। अन्य जिम्मेदारों को फोन किया तो कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। मृतक के पुत्र अधिवक्ता अरुण सक्सेना ने बताया कि एंबुलेंस से बॉडी को भरतपुर लेकर पहुंचे तो आरबीएम अस्पताल में किसी ने भी सुध नहीं ली। बाद में रिश्तेदार चिकित्सक को फोन करने पर उन्होंने मदद करते हुए बॉडी को मोर्चरी में रखवाया। सुबह मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने बॉडी को उनके पास लाने को कहा। परिजन ने आरोप लगाया कि मेडिकल कॉलेज प्रशासन देहदान का अपमान किया है। प्रशासन को उनके खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए।
Hindi News/ Bharatpur / राजस्थान में मौत के बाद समाजसेवी के देहदान का अपमान, जिम्मेदार लोगों ने नहीं ली कोई सुध