
बरसात नहीं होने से जिले के किसान भी मायूस हैं। हालांकि, शुरुआती एक-दो दिन हुई बरसात के चलते किसानों ने खेतों में निराई-बुवाई का काम शुरू करा दिया था, लेकिन उसके बाद से सूखा पड़ा हुआ है। उधर, इन्द्र देवता को मनाने के लिए जिले में करीब आधा दर्जन किशोर-युवती तप पर बैठी हुई हैं।
खराब हो सकती है फसल
बरसात नहीं होने से खेत अभी ज्यादातर सूखे पड़े हैं। बीच में एक-दो बार हल्की बरसात होने पर किसानों ने बुवाई का काम शुरू कर दिया लेकिन उसके बाद वापस बरसात नहीं होने से उन्हें निराशा मिली है। कृषि विभाग के अनुसार जिले में करीब 80 फीसदी रकबा में बुवाई हो चुकी है। लेकिन पानी की कमी के कारण किसानों की चिंता बढ़ा दी है। माना जा रहा है कि जल्द बरसात नहीं हुई तो फसल के खराब होने की आशंका बढ़ जाएगी।
बांधों में नहीं आया पानी
खेत-खलिहाल में पहले से ही पानी का अभाव बना हुआ है, वहीं जिले के ज्यादातर बांध व कैनाल खाली पड़ी हैं। जिले का सबसे बड़ा बांध बंध-बारैठा में जून के अंत तक 14.6 फीट पानी बना हुआ था जबकि इसकी भराव क्षमता 29 फीट है। इस बांध से शहर के पानी की आपूर्ति होती है। इसी तरह जिले के अन्य छोटे बांध भी खाली पड़े हुए हैं।
औसत बरसात भी दूर
बीते जून माह में जिलेभर में कुल 512 एमएम बरसात रिकॉर्ड की गई थी लेकिन उस समय गर्मी अधिक होने से ज्यादातर पानी वाष्प बनकर उड़ गया। वहीं, इस महीने 14 जुलाई तक 494 एमएम बरसात रिकॉर्ड हुई है। जबकि जिले की औसत बरसात 670 एमएम है। जिले में जल्द बरसात नहीं हुई तो पानी के लाले पड़ सकते हैं और सबसे ज्यादा असर फसल पर पड़ेगा।
-जिले में 80 फीसदी इलाके में बुवाई हो चुकी है लेकिन बरसात नहीं होने से पानी की किल्लत बनी हुई है। जल्द बरसात नहीं हुई तो फसल का नुकसान पहुंच सकता है।
देशराज सिंह, उपनिदेशक, कृषि विस्तार
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