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16 साल बाद मिले मां-बेटे, 15 वर्ष बाद पिता को देख भावुक हो गए बेटे

भरतपुर . अपना घर आश्रम में शुक्रवार को 16 वर्ष बाद मां-बेटे का मिलन हुआ तो दोनों बिलख उठे। यह दृश्य देख यहां मौजूद लोगों की आंखें भी नम हो गईं। वहीं 15 वर्ष बाद अपने पिता को देख दो बेटों की आंखें भीग गईं।

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16 साल बाद मिले मां-बेटे, 15 वर्ष बाद पिता को देख भावुक हो गए बेटे

16 साल बाद मिले मां-बेटे, 15 वर्ष बाद पिता को देख भावुक हो गए बेटे

भरतपुर . अपना घर आश्रम में शुक्रवार को 16 वर्ष बाद मां-बेटे का मिलन हुआ तो दोनों बिलख उठे। यह दृश्य देख यहां मौजूद लोगों की आंखें भी नम हो गईं। वहीं 15 वर्ष बाद अपने पिता को देख दो बेटों की आंखें भीग गईं।


जानकारी के अनुसार 16 वर्ष पहले विनोद प्रभुजी अपने घर से काम करने के लिए हैदराबाद के लिए निकले, लेकिन घर नहीं लौटे। यह भटकते हुए बीकानेर जा पहुंचे। सूचना मिलने पर इन्हें अपना घर आश्रम बीकानेर की रेस्क्यू टीम ने 28 नवम्बर 2014 को रेस्क्यू कर भर्ती किया। मानसिक स्थिति कमजोर होने के कारण बीकानेर आश्रम ने इन्हें सेवा व उपचार के लिए अपना घर आश्रम भरतपुर में 12 अप्रेल 2016 को स्थानान्तरित किया।

यहां उपचार के बाद स्वस्थ होने पर अपना घर आश्रम की पुनर्वास टीम ने इनके घर प्रधान के माध्यम से सूचना पहुंचाई। सूचना पर इनकी मां और भाई इन्हें लेने के लिए अपना घर आए तो बेटे को देख मां खुशी से रोने लगी। विनोद अपने भाई को नहीं पहचान पा रहा था। इस पर भाई ने वीडियो कॉल के माध्यम से सगे-संबंधियों से की बात कराई। इसके बाद वह सभी को पहचान गए। विनोद अपनी मां कमलेश तथा भाई विकास कुमार के साथ जलालपुर रायबरेली उत्तरप्रदेश चले गए।


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15 वर्ष बाद हुआ परिजनों से मिलन


करीब 15 वर्ष पूर्व मानसिक स्थिति कमजोर होने के कारण जगदीश प्रभुजी अपने घर से लापता हो गए। इनकी पत्नी और बेटों ने इनको 10 वर्ष तक तलाश किया, लेकिन पता नहीं चल सका। अपना घर की टीम ने 10 जनवरी 2022 को रणजीत नगर भरतपुर से उन्हें रेस्क्यू कर अपना घर लाया गया। इतने लंबे समय बाद भी इनकी पत्नी और दोनों बेटे दासो गागराई और मुल्कराज ने उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा।

हाल ही में अपना घर आश्रम भरतपुर की पुनर्वास टीम ने इनके स्थानीय थाने के माध्यम से घर पर सूचना भिजवाई गई तो परिजनों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। दोनों बेटे अपने पिता को लेने के लिए अपना घर आश्रम भरतपुर के लिए रवाना हो गए। यहां पिता से मिले तो दोनों बेटों की आंखों से खुशी के आंसू छलक पड़े। इस भावुक मिलन को देख वहां पर स्थित सभी की आंखें नम थी। दोनों बेटे पिता को अपने साथ कोलाबुरु दुमुरिया झारखंड लेकर चले गए।


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