फोटो से की मीरा ने शिनाख्त मीरा ने बताया कि 28 फरवरी को उसके पति को मजदूरी नहीं मिली तो वह शाम को पांच बजे इसी उम्मीद में घर से निकला कि शायद कोई काम मिल जाए तो बच्चों के लिए रोटी का जुगाड़ हो जाए, लेकिन राजकुमार रात्रि 10 बजे तक घर नहीं लौटा तो परिजनों को चिंता हुई। इसके बाद उसकी इधर-उधर खोज की गई। सभी रिश्तेदारियों में पूछताछ की गई, लेकिन उसका कहीं पता नहीं चल सका। इसके बाद परिजन जीआरपी थाने पहुंचे तो उन्हें पता चला कि राजकुमार की 28 फरवरी को ही मौत हो चुकी है। जीआरपी ने मृतक राजकुमार का फोटो खींच रखा था। तस्वीर से परिजनों ने उसकी शिनाख्त की।
आरटीई से शिक्षा पा रहे बच्चे मीरा ने बताया कि उसकी बेटी करीब 10 साल एवं बेटा नौ साल का है। आरटीई के तहत किए आवेदन में उनका चयन एक निजी स्कूल में हो गया, लेकिन अब बच्चों को पढ़ाना तो दूर अब खाने के भी लाले पड़ रहे हैं। मीरा का कहना है कि उसके परिवार का आसरा सिर्फ राजकुमार था। अब परिवार का कोई सहारा नहीं है।
मदद से भर रहा पेट मीरा बताती हैं कि कमाने वाला परिवार में कोई नहीं रहा है। ऐसे में परिवार का गुजारा लोगों की मदद के आधार पर चल रहा है। हाल ही में मीरा मदद की आस लेकर स्वास्थ्य मंदिर संस्थान के डॉ. वीरेन्द्र अग्रवाल के पास पहुंची। इस पर संस्थान की ओर से मीरा के परिवार को कुछ खाद्य सामग्री उपलब्ध कराई है। गर्भवती मीरा को उम्मीद है कि अन्य लोग भी उसकी मदद को आगे आएंगे, इससे उसके परिवार का गुजारा हो सके।