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भरतपुर में भूखंड का सपना जल्द होगा साकार, एलपीसी की मिली मंजूरी

करीब डेढ़ दशक बाद संभाग की सबसे बड़ी आवासीय कॉलोनी सेक्टर-13 में भूखंड का सपना अब शीघ्र ही साकार होने की उम्मीद जागी है।

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भरतपुर/पत्रिका न्यूज नेटवर्क। करीब डेढ़ दशक बाद संभाग की सबसे बड़ी आवासीय कॉलोनी सेक्टर-13 में भूखंड का सपना अब शीघ्र ही साकार होने की उम्मीद जागी है। अब केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान की सीमा से 500 मीटर छोडक़र रिवाइज नक्शा तैयार किया गया है। जिसे लेआउट प्लीनिंग कमेटी (एलपीसी) की स्वीकृति मिल चुकी है। अब इसे तकनीकी स्वीकृति के लिए जयपुर टाउन प्लानिंग में अनुमोदन के लिए भेजा जाएगा। वहां से मोहर लगने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

सेक्टर-13 की योजना में बार-बार आ रही अड़चनों के बीच अब एक सबसे बड़ी परेशानी से कॉलोनी को राहत मिल गई है। पिछले काफी समय से केवलादेव राष्ट्रीय पक्षी उद्यान की सीमा से एक किलोमीटर के दायरे में रोक लगी गई थी। लेकिन अब इसका दायरा 500 मीटर करने से कॉलोनी विकसित करने की योजना को पंख लग सकते हैं। ऐसे में यूआईटी ने 500 मीटर जगह को छोडक़र नया नक्शा तैयार कराया है। जिसका ट्रस्ट में भी अनुमोदन हो चुका है। अब इस नक्शे पर जयपुर की स्वीकृति मिलना बाकी है। जयपुर की स्वीकृति मिलने के बाद 2500 काश्तकारों को जमीन आवंटन और पट्टे की कार्रवाई शुरू की जाएगी।

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शीघ्र जारी होंगे आवंटन पत्र
500 मीटर क्षेत्र छोड़कर रिवाइज नक्शा तैयार किया गया है। जिसे एलपीसी से स्वीकृति मिल चुकी है। अब जयपुर से स्वीकृति मिलना बाकी है। जिनको आरक्षण पत्र दिए गए हैं, उन्हें अगस्त के लास्ट तक या फिर सितम्बर तक आवंटन पत्र देने की कार्रवाई की जाएगी। उसकी सूची यूआईटी की साइड पर भेजकर लोगों से आपत्ति मांगी जाएगी।-कमलराम मीणा, सचिव, यूआईटी

मूल खातेदारों को पहले करें पट्टे जारी
मूल खातेदारों को पट्टे जारी करने चाहिए। मूल खातेदार का खसरा नम्बर जहां बोल रहा है, वहीं पर उन्हें जमीन देनी चाहिए। पट्टे मिलने में बहुत समय गुजर गया है। अब पट्टे मिलने चाहिए। -मोती सिंह, पार्षद, वार्ड-14

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यह है योजना सेक्टर-13
सेक्टर-13 में यूआईटी की ओर से 12 गांवों के 2400 काश्तकारों की 2400 बीघा जमीन अधिग्रहित की गई थी। इसमें पट्टे काटने की व्यवस्था की जाएगी। इस योजना को करीब 15 वर्ष हो गए, लेकिन अभी तक किसानों को उनकी जमीन के एवज में कुछ नहीं मिला है। इस समय दौरान अनेक बार किसानों की ओर से आंदोलन किया गया और कलक्टर से लेकर यूआईटी सचिव व मंत्री आदि को ज्ञापन दिए गए। बाद में फरवरी में आरक्षण पत्र देने के आश्वासन पर आंदोलन समेटा गया थाए लेकिन फिर भी आरक्षण देने में देरी हो गई।