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पिस्टल अवैध…और कारतूस सरकारी… बदमाश कर रहे ठांय-ठांय

- प्रदेशभर में नहीं हो रही कारतूसों की तहकीकात, आखिर कहां से आ रहे कारतूस, किसी का नहीं ध्यान

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फायरिंग, गैंगवार और मर्डर के बढ़ते मामले पुलिस की फिक्र बढ़ा रहे हैं। ज्यादातर मामलों में अवैध हथियार से फायरिंग होना सामने आता है। पुलिस यहां तक तो पहुंच जाती है कि हथियार कहां से आया, लेकिन कारतूस कहां से आए। इसका जिक्रनहीं होता, जबकि असलियत यह है कि हथियार भले ही अवैध हो, लेकिन कारतूस तो उनमें सरकारी ही उपयोग हो रहा है। सरकारी इसलिए कि कारतूस सिवाय फैक्ट्री के कहीं अन्य नहीं बनाया जा सकता, जो पूर्ण रूप से सरकारी की निगरानी में ही निर्मित होते हैं।
कारतूस बनने से लेकर बिकने तक की एक पूरी प्रक्रिया होती है। अमूमन गन हाउस के लिए लाइसेंस जारी होता है और इसके बाद यह लाइसेंसधारियों को बेचे जाते हैं, लेकिन फिर भी यह अपराधियों तक पहुंच जाते हैं और किसी की जान लेने की वजह बनते हैं। सरकार, जिला प्रशासन और पुलिस किसी का इस ओर ध्यान नहीं है। चुनाव आयोग चुनाव के समय लाइसेंस तो जमा कराता है, लेकिन कारतूसों को लेकर कोई सजग नहीं दिखता। यही वजह है कि अपराध के आंकड़े थमने का नाम नहीं ले रहे हैं। एक गन हाउस से लाइसेंसी ने साल में कितने कारतूस लिए और उनका कहां उपयोग किया, इसका किसी के पास लेखा-जोखा तक नहीं होता है। ऐसे में यह कारतूस अवैध रूप से अपराधियों तक पहुंच रहे हैं और अपराधों की बड़ी वजह बन रहे हैं।

सिर्फ दो जगह ही कर सकता है उपयोग

यदि किसी व्यक्ति के पास हथियार का लाइसेंस है तो वह लाइसेंसधारी गन हाउस से कारतूस खरीद सकता है। इसकी भी लिमिट तय है। हथियार रखने वाला व्यक्ति इन कारतूसों का उपयोग या तो अपनी स्वयं की सुरक्षा के लिए कर सकता है या फिर पुलिस की अनुमति के बाद फायरिंग रेंज में हथियार चलाना सीखने के लिए कारतूस चला सकता है। इन दोनों ही चीजों का सरकारी रिकॉर्ड होता है, लेकिन अब तक ऐसा कोई भी रिकॉर्ड पुलिस के पास नहीं है, जबकि हथियारधारी कारतूस खरीद रहे हैं, लेकिन यह अपराधियों तक कैसे पहुंच रहे हैं, इसको लेकर पुलिस फिक्रमंद नजर नहीं आ रही है।

आखिर कहां से आए 400 अतिरिक्त कारतूस

पुलिस ने 17 अक्टूबर को शहर के मुख्य बाजार गंगा मंदिर के निकट मोदी गन हाउस पर छापेमार कार्रवाई की। पुलिस को शिकायत मिली थी कि मोदी गन हाउस की ओर से गैर कानूनी गतिविधियां कर अनियमितता बरतीं जा रही हैं। पुलिस मोदी गन हउस और भरतपुर गन हाउस सहित उनके आवासों की गहनता से जांच कर रही है। गन हाउस के स्टॉक में शामिल कारतूस और शस्त्रों के बारे में उनके बैच नंबर एवं खरीद आदि को लेकर जांच जारी है। इनके पास मिले स्टॉक से अधिक कारतूस को लेकर भी गहराई से जांच की जा रही है। जांच में पुलिस को करीब 400 अतिरिक्त कारतूस मिले हैं, लेकिन अभी वे संदिग्ध हैं, क्योंकि गन हाउस प्रोपराइटरों के खुद के भी लाइसेंस हैं। हालांकि पुलिस मामले की तह तक जा रही है। खास बात यह है कि कई बैच के कारतूस ऐसे हैं, जो अपराधियों की ओर से उपयोग में लिए गए बैच के हैं।

आम्र्स एक्ट के दर्ज प्रकरण
वर्ष दर्ज मामले गिरफ्तारी हथियार कारतूस
2022 112 109 74 84
2023 129 125 109 197
2024 80 82 76 320

केस नंबर एक: 4 सितम्बर 2022 को हिस्ट्रीशीटर कृपाल जघीना की सरेआम गोलियों से भूनकर हत्या कर दी गई। यह हत्या हिस्ट्रीशीटर कुलदीप जघीना की ओर से की गई थी। इसके बाद 12 जुलाई 2023 को कृपाल जघीना हत्याकांड के मुख्य आरोपी कुलदीप जघीना की आमोली टोल प्लाजा पर गोली मारकर हत्या कर दी गई। इस समय चालानी गार्ड भी रोडवेज बस में सवार थे, लेकिन आरोपी भाग निकले। पुलिस पड़ताल में सामने आया कि यह हत्या अवैध हथियारों से की गई। इन हत्याकांडों में कारतूस भी अवैध रूप से बदमाशों तक पहुंचे।

केस नंबर 2: कुम्हेर क्षेत्र के गांव सिकरोरा में 27 नवम्बर 2022 को पुलिसकर्मी एवं उसके दो बेटों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। तीनों को गोलियां बरसाकर मौत के घाट उतार दिया गया। इसके अलावा 7 नवम्बर 2021 को शहर की सुभाष नगर कॉलोनी में हुए विवाद के बाद पिता-पुत्र की गोली मारकर हत्या की गई थी। इन दोनों ही केसों में अवैध रूप से कारतूस अपराधियों तक पहुंचने की बात सामने आई है। इसके अलावा आधा दर्जन केस ऐसे हैं, जिनमें अवैध रूप से कारतूस अपराधियों तक पहुंचे थे, जिनकी पुलिस पड़ताल में जुटी हुई है।

इनका कहना है

-हथियारों की तह तक तो पुलिस पहुंच रही है। अब कारतूस को लेकर शहर में गन हाउसों की चेकिंग शुरू की है। कारतूसों की भी जांच होनी चाहिए। कारतूस अवैध रूप से बदमाशों तक पहुंचते हैं। कारतूसों की गहन चेकिंग और निगरानी से अपराधों पर बहुत हद तक अंकुश लगाया जा सकता है।

मृदुल कच्छावा, पुलिस अधीक्षक भरतपुर