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साइबर ठगी पर पत्रिका के अभियान का बड़ा इम्पैक्ट, 20 दिन में 62 लोगों ने खुद को बचाया, बताई आपबीती

Patrika Raksha Kavach Abhiyan: पिछले 20 दिनों में 62 लोग साइबर ठगी से बचे हैं। पत्रिका की टीम ने ऐसे कुछ पाठकों को ढूंढ निकाला। जिन्होंने खबर को गंभीरता से पढ़ा और साइबर ठगों को ठेंगा दिखा दिया।

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Patrika Raksha Kavach Abhiyan: इंजीनियर से 31 लाख रुपए से अधिक की ठगी, इस तरह झांसे में आकर गंवाए पैसे

Patrika Raksha Kavach Abhiyan: डिजिटल युग में अपने बैंक खातों को सुरक्षित रखना सबसे बड़ी चुनौती है। डिजिटल फ्रॉड के मामले में लाखों करोड़ों की रकम पल भर में गंवा देते हैं। पत्रिका ने लोगों को जागरूक कर डिजिटल फ्रॉड से बचाने के लिए मुहिम छेड़ी है। जिससे लोग जागरूक हो रहे है। लोग फ्रॉड करने वालों से फेर नहीं फंस रहे हैं। अब वे डिजिटल अरेस्ट नहीं उसके प्रति जागरूक हो रहे हैं।

पिछले 20 दिनों में 62 लोग साइबर ठगी से बचे हैं। इसके पहले आए दिन लोग ठगी के शिकार हो रहे थे। पत्रिका की टीम ने ऐसे कुछ पाठकों को ढूंढ निकाला। जिन्होंने खबर को गंभीरता से पढ़ा और साइबर ठगों को ठेंगा दिखा दिया। दुर्ग सीसीटीएनएस प्रभारी डॉ. संकल्प राय के मुताबिक 20 दिनों में 62 लोग साइबर ठगी से बचे है। जिसकी शिकायत पोर्टल में दर्ज कराई है।

जागरूकता ही साइबर ठगी से बचने का उपाय

एनडीआरएफ के डिप्टी कमांडेंट पवन जोशी ने बताया कि तीन दिन पहले एक अनजान नंबर से कॉल आया। उसने इंग्लिश में बात की। कहने लगा कि आपके आधार नंबर से जितने भी सिम नंबर चालू है वह सभी डिएक्टिवेट हो जाएंगी। पहले तो उससे बातचीत कर थोड़ी जानकारी लेने की कोशिश की। उनसे कहा कि नम्बर बंद होने से बहुत परेशानी होगी। तब उसने अपने प्रतिनिधि से बात कराई और कहा कि वही समस्या का निदान करेंगे।

दूसरे ठग ने भी इंग्लिश में ही बात की। वह कहने लगा कि इस नंबरों से गैरकानूनी गतिविधियां चल रही हैं। दिल्ली में इसके खिलाफ एफआईआर दर्ज है। उसने ट्रेवल हिस्ट्री भी बताई। मैंने न्यूज पढ़ी थी। पता था कि साबिर ठग ही हो सकते हैं। मैंने उनका फोन कट कर दिया और नंबर ब्लॉक कर दिया।

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ड्रग्स, नार्कोटिक्स और ह्यूमन ट्रैफिकिंग के नाम पर डराया

बिजनेस वुमन नम्रता चंद्राकर ने बताया कि सोमवार को सुबह करीब 8.30 बजे एक व्यक्ति ने नार्मल कॉल किया। सीधे कहने लगा कि ड्रग्स, नार्कोटिक्स और ह्यूमन ट्रैफिकिंग जैसी गैरकानूनी गतिविधियों से कॉल आ रहे हैं। आपके नम्बर को एएसआई अर्जुन पाटिल को ट्रांसफर कर रहे हैं। एएसआई पाटिल ने इंग्लिश में बात शुरू की। उसने मोबाइल नंबर, ई-मेल और एड्रेस को सही बताया और कहा कि आपके सिम के नाम से कंप्लेन की गई है।

लगातार पत्रिका न्यूज पेपर को पढ़ती हूं। उसमें साइबर ठगी को लेकर विस्तार से न्यूज आ रहे हैं। यह तो समझ आ गया कि कोई साइबर ठग ही हो सकता है। मैंने तत्काल उसे बोला कि हमारे परिचित है डॉ. संकल्प राय उसने कनेक्ट करती हूं। तब तक सामने वाले ने कॉल को कट कर दिया। साइबर पोर्टल में रिपोर्ट दर्ज करा दी है।

फॉरेन कंट्री कॉल देख कर समझ गया

फाइनेंस प्लानर उज्ज्वल चांडक ने बताया कि फॉरेन कंट्री नंबर से कॉल आया। जिससे देख समझ गया कि कोई फ्रॉड व्यक्ति ही हो सकता है। क्योंकि फॉरेन से कोई बिजनेस नहीं है। आजकल पत्रिका न्यूज पेपर में रोज साइबर फ्रॉड से संबंधित खबरें आ रही है। इसलिए जागरूकता की वजह से उसे रिप्लाई नहीं किया। अक्सर लोग जल्दबाजी में रिप्लाई करने लगते है। यहीं साइबर ठग फायदा उठाकर ठगी करते है।