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गरीबों के नाम रियायती दर पर ली कीमती जमीन, उपचार तो दूर इन प्राइवेट अस्पतालों में घुसने भी नहीं देते मरीजों को

जिला स्वास्थ्य एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने चंदूलाल चंद्राकर स्मृति अस्पताल और बीएम शाम अस्पताल की स्मार्ट कार्ड की मान्यता को निरस्त कर दिया है।

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भिलाई

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Dakshi Sahu

Jul 23, 2018

PATRIKA

गरीबों के नाम रियायती दर पर ली कीमती जमीन, उपचार तो दूर इन प्राइवेट अस्पतालों में घुसने भी नहीं देते मरीजों को

भिलाई. सरकार से रियायती दर पर ज़मीन लेने वाले शहर के प्राइवेट अस्पताल संचालक लीज डीड की शर्तों का पालन करना तो दूर, राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना के नियमों के तहत मरीजों को सुविधाएं नहीं दे रहे हैं। इसके कारण जिला स्वास्थ्य एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी ने चंदूलाल चंद्राकर स्मृति अस्पताल और बीएम शाम अस्पताल की स्मार्ट कार्ड की मान्यता को निरस्त कर दिया है।

इलाज रियायती दरों पर करेंगे
लोगों की शिकायत पर जिला स्वास्थ्य विभाग ने चंदूलाल और बीएम शाह अस्पताल की जांच पड़ताल की। मानक के अनुरूप व्यवस्था नहीं पाई गई। विशेष क्षेत्र विकास प्राधिकारण (सूडा) ने १९८८ और १९९६ में चार निजी अस्पताल को नो प्रॉफिट, नो लॉस के तय नियमों के तहत रियायती दर पर जमीन उपलब्ध कराई है। ताकि वे गरीबों का इलाज रियायती दरों पर करेंगे।

इसके लिए रियायती दरों पर सूडा ने नेहरू नगर में चंदूलाल चंद्राकर स्मृति चिकित्सालय, के.गुरुनाथ प्रियदर्शनी परिसर पूर्व, छत्तीसगढ़ हॉस्पिटल (बीएम शाह) शास्त्री नगर और करुणा हॉस्पिटल नंदनी रोड पावर हाउस में जमीन दी है। इनमें से चेरिटेबल ट्रस्ट करुणा हास्पिटल को छोड़कर अन्य अस्पताल लीज डीड के शर्तों का पालन नहीं कर रहे हैं।

ये हैं लीज डीड की शर्तें
लीज डीड की शर्तों के मुताबिक रियायती दर पर जमीन पाने वाले प्राइवेट अस्पतालों में गरीबों का इलाज मुफ्त में करना है। ओपीडी में २५ फीसदी मरीजों को नि:शुल्क इलाज करना है। आपातकालीन विभाग (आईपीडी) में 10 फीसदी तक मुफ्त में इलाज करना है। चतुर्थ श्रेणी सरकारी कर्मचारियों की रियायती दरों पर इलाज उपलब्ध कराना है।

...तो लीज की जा सकती है रद्द
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में यह कहा कि सरकार से रियायती दर पर ज़मीन पाने वाले अस्पतालों को नियम मानने होंगे। अगर कोई अस्पताल तय मानकों के अनुसार मुफ्त उपचार देने से इनकार करता है तो उसकी लीज रद्द की जा सकती है। बता दें कि केंद्र सरकार ने एक अपील दायर की थी, जिसको लेकर सुप्रीम कोर्ट ने ६ जुलाई को यह आदेश दिया है।

निगम के पूर्व सभापति राजेन्द्र सिंह अरोरा ने चंदूलाल चंद्राकर स्मृति चिकित्सालय और बीएम शाह अस्पताल के खिलाफ बिलासपुर हाईकोर्ट में रिट दायर की है। न्यायालय ने दोनों अस्पताल प्रबंधन और जिला स्वास्थ्य एवं मुख्य चिकित्सा अधिकारी से जवाब मांगा।

याचिका में यह कहा गया है कि रियायती दर पर जमीन लेने वाले दोनों अस्पताल लोगों का मुफ्त में इलाज नहीं कर रहा है। गरीब लोग अस्पताल में भर्ती होते हैं तो स्मार्ट कार्ड से राशि की काट ली जाती है। सीएमएचओ डॉ. सुभाष पांडेय ने बताया कि दोनों अस्पताल में मानक के अनुरूप मरीजों को इलाज की सुविधा नहीं मिलने की शिकायत मिली थी। जांच में शिकायत सही पाई गई।