शीर्ष नेताओं के कार्यशैली पर उठ रहे सवाल,
भिलाई. स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल) के कर्मियों पर हर साल बोनस पर जो खर्च होता है। वह घटता जा रहा है। इस बात को लेकर कर्मचारी नाराज हैं। कर्मियों का कहना है कि श्रमिक संगठन के शीर्ष नेता इसके लिए जवाबदार हैं। यही वजह है कि इस बार कर्मचारी 63 हजार रुपए से कम बोनस लेने को राजी नहीं हैं। वे बार-बार इसको लेकर सोशल मीडिया में श्रमिक नेताओं को चेतावनी भी दे रहे हैं।
सेल ने कर्मियों पर 14 साल पहले बोनस पर किया था 182 करोड़ खर्च
कर्मियों का तर्क है कि 14 साल पहले सेल ने अपने कर्मियों पर 182 करोड़ रुपए बतौर बोनस खर्च किया था। इसके बाद यह लगातार घटता गया। सेल प्रॉफिट में रहे या नहीं, लेकिन भिलाई इस्पात संयंत्र हमेशा से ही मुनाफा में रहा है। इसके बाद भी यहां के कर्मियों को बोनस मांग के मुताबिक कभी नहीं दी गई। इस बात का कर्मियों को मलाल है।
यूनियन नेता नहीं बना पा रहे दबाव
कर्मियों का कहना है कि यूनियन नेता प्रबंधन पर दबाव नहीं बना पा रहे हैं। प्रबंधन अक्सर यूनियन नेताओं की मांग को ठुकरा देता है। इसके बाद श्रमिक नेता लौट आते हैं। जिस तरह से बार्गनिंग की जानी चाहिए, वैसी नहीं हो पा रही है। प्रबंधन को हर बार मुनाफा दिलाने वाली यूनिट के कर्मचारी छोटी-छोटी मांग को लेकर सड़क पर क्यों उतरें। श्रमिक नेता टेबल पर बैठक में प्रबंधन पर दबाव बनाएं।
सेल को पहुंचाया जा रहा राहत
कर्मियों का तर्क है कि प्रबंधन और युनियनों की जुगलबंदी से कंपनी पर बोनस का भार कम होता जा रहा है। असल में यह बोझ हर साल बढऩा चाहिए। अगर कर्मचारी घट रहे हैं, तो भी उत्पादन तो उससे बेहतर करके दिया जा रहा है। इसके बाद बोनस अधिक क्यों नहीं दिया जाना चाहिए।
14 साल पहले मिला 182 करोड़
सेल 1,13,560 कर्मचारियों पर 2008 को बोनस मद से 182 करोड़ रुपए खर्च करती थी। वहीं सेल 2015 में 71 करोड़ रुपए खर्च की। पिछले साल इसमें कुछ इजाफा हुआ और वह बढ़कर 115 करोड़ तक पहुंचा है। कर्मियों की संख्या आधी रह गई है और बोनस का खर्च तीन गुना घट चुका है।
4000 से अधिक ने छोड़ा सेल की नौकरी
सेल के मैन पावर के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो साफ होगा कि पिछले दस साल में करीब 4000 कर्मियों ने सेल की नौकरी छोड़ दी है। इसमें बहुत से डिप्लोमाधारी हैं। जिन्होंने पदनाम के नाम पर दूसरे संस्था को अपना लिया।