डीपीएस भिलाई की छात्रा माही हॉस्टल में रहकर पढ़ाई करती रही। इस होनहार ने कहा कि यदि सफल होना है तो पहले खुद को एक्सक्यूज देना बंद कर दीजिए। कोई भी गोल तय करने से पहले आपको खुद में इतना मजबूत होना पड़ेगा कि कोई भी चुनौती आसान लगे। अनुशासन में रहकर पढऩा होगा। हर उस चीज को छोड़ दीजिए जो आपको पढ़ाई से दूर करती है। पढऩे का पैटर्न ऐसा बनाएं जो रेगुलर हो। एक दिन की पढ़ाई भी छोड़ी तो आप भटक जाएंगे। पैरेंट्स ने सिखाया है कि अभी कुछ साल जमकर स्ट्रगल कर लो फिर कुछ बनने के बाद वह सबकुछ करना जिसे अभी पढ़ाई के लिए त्याग किया है। माही ने बताया कि आगे वह आईएएस बनना चाहती।
दुर्ग जिले की 62 स्कूलों के 8167 सभी विद्यार्थी उत्तीर्ण हुए हैं। कोरोना को देखते हुए बोर्ड ने कक्षा दसवीं में कंपार्टमेंट यानी पूरक देने से परहेज करते हुए सभी को उत्तीर्ण किया है। दुर्ग जिले के लिए यह पहली मर्तबा है जब इस साल 1236 विद्यार्थियों ने दसवीं में 90 फीसदी से अधिक अंक हासिल किए हैं। बीते साल से आंकड़ा 12 फीसदी बढ़ गया है। कोरोना संक्रमण को देखते हुए बोर्ड इस बार मेरिट सूची का प्रकाशन नहीं करेगा। हालांकि जो छात्र इस रिजल्ट से संतुष्ट नहीं होंगे, उन्हें स्थिति सामान्य होने के बाद परीक्षा देने का मौका मिलेगा।
स्कूल शिक्षा के जानकारों ने बताया कि इस साल छत्तीसगढ़ ने भुवनेश्वर रीजन को रिजल्ट में भोपाल और चंड़ीगढ़ रीजन से आगे बढ़ा दिया। छत्तीसगढ़ भुवनेश्वर रीजन में शामिल है, जिसका रिजल्ट 99.62 फीसदी रहा है। वहीं भोपाल 99.47 और चंडीगढ़ 99.46 प्रतिशत रिजल्ट पर रहा। बीते कुछ साल से भुवनेश्वर रीजन छत्तीसगढ़ के विद्यार्थियों के साथ बेहतरीन प्रदर्शन करता आ रहा है।
62 – दुर्ग जिले में सीबीएसई स्कूल
8126 – विद्यार्थी हुए दसवीं में शामिल
4926 – लड़के हुए शामिल
3400 – लड़कियों ने दी परीक्षा
1236 – विद्यार्थियों ने पाए 90 फीसदी से अधिक
400 – छात्र बढ़ गए 90 फीसदी वाले
521 – विद्यार्थियों को मिले 95 फीसदी से अधिक
माही अग्रवाल – 99.8
वैष्ण्वी सिन्हा – 99.4
कृति गुप्ता – 99.0
हेमांगिनी सत्यार्थी – 97.2
गरिमा हिरवानी – 97
तृशा सिंह – 95.7
हर्षिता देवांगन – 95 बच्चों ने घर बैठकर दिया प्री-बोर्ड
बोर्ड ने जिस तरह कक्षा 12वीं का रिजल्ट निकालने 10वीं और 11वीं को आधार माना था, वैसा दसवीं में नहीं किया गया। यह रिजल्ट स्कूल टेस्ट, हाफ ईयरली और प्री-बोर्ड परीक्षा में छात्रों को मिले अंंकों के आधार पर निकाला गया। यह सभी परीक्षाएं भी विद्यार्थियों ने घर बैठकर ऑनलाइन मोड में दी। बोर्ड ने इन सभी परीक्षाओं में से विद्यार्थी को मिले सर्वाधिक अंक को लिया।
सीबीएसई स्कूलों में 10वीं के बाद अगली कक्षा में विषय का चयन मेरिट के आधार पर किया जाता रहा है। इस बार भी ऐसे ही होगा, लेकिन 90 और 95 फीसदी से अधिक अंक हासिल करने वालों की संख्या बढ़ जाने की वजह से स्कूलों को कुछ परेशानियां हो सकती है। बोर्ड ने विषय चयन के लिए विद्यार्थी का टेस्ट लेने पर भी रोक लगाई हुए है। ऐसे में स्कूल शिक्षकों द्वारा बच्चे की परफॉर्मेंस को आधार मानकर विषय चयन की प्रक्रिया को पूरा कराया जा सकता है।
इस वैकल्पिक मूल्यांकन योजना के अनुसार 20 अंक आंतरिक मूल्यांकन पर आधारित थे जो स्कूलों द्वारा आयोजित ूहुए। 10 नंबर आवधिक यूनिट टेस्ट के लिए आवंटित किए गए। 30 नंबर अर्ध-वार्षिक परीक्षा के लिए आवंटित किए। और 40 नंबर प्री-बोर्ड को आवंटित किए।