8 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

CG Chaitra Navratri 2024: इस मंदिर में हर दिन कन्या पूजन अनिवार्य है, फिर होता है भंडारा

Navratri 2024: यहां हर दिन माता की प्रतिमा का हर दिन अलग-अलग रूपों में श्रृंगार होता है। इसके साथ देवी के स्वरूप में हर दिन कन्याओं के पूजन के साथ भोज भी कराया जाता है

2 min read
Google source verification
bhilai_3.jpg

Navratri in CG: सत्ती चौरा दुर्गा मंदिर शहर का एक मात्र देवी मंदिर है, जहां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा होती है। यहां हर दिन माता की प्रतिमा का हर दिन अलग-अलग रूपों में श्रृंगार होता है। इसके साथ देवी के स्वरूप में हर दिन कन्याओं के पूजन के साथ भोज भी कराया जाता है। इसके अलावा श्री सत्ती चौरा दुर्गा मंदिर शहर का एकमात्र देवी मंदिर है, जहां चारों नवरात्रि पर विशेष आयोजन किए जाते हैं। क्वांर नवरात्रि में मां दुर्गा की प्रतिमा भी स्थापित की जाती है। साथ ही गुप्त नवरात्रियों में विशेष पूजा अर्चना की जाती है।

मंदिर समिति के योगेंद्र बंटी शर्मा बताते हैं कि 47 साल पहले सत्ती चौरा के समीप दुर्गा स्थापना की परंपरा शुरू हुई। लगातार तीन साल प्रतिमा स्थापना के बाद विराम कर शहर के सबसे प्रसिद्ध गंजमंडी प्रांगण में संयुक्त रूप से प्रतिमा स्थापना कर आयोजन का फैसला किया गया। बताया जाता है कि इसी के तहत सत्ती चौरा के बिना गंज में प्रतिमा स्थापित करने की कोशिश की गई थी, लेकिन ऐसा संभव नहीं हुआ। तब से सत्ती चौरा में दैवीय शक्ति होने की मान्यता है और इसी से प्रेरित होकर मंदिर का निर्माण कराया गया है। इसके अलावा दोनों जगहों पर अब भी प्रतिमा रखी जाती है। खास बात यह है कि स्थापना और विसर्जन के पहले दोनों प्रतिमाओं को आज भी आमने-सामने लाया जाता है। मान्यता है कि गंजमंडी की दुर्गा माता की छोटी बहन के रूप में यहां अष्टभुजी प्रतिमा स्थापित होती है।

यह भी पढ़ें: Kumhari bus accident: बस हादसे के पीड़ितों से मिलने के बाद, गृह मंत्री विजय शर्मा ने ये कहा, देखें VIDEO

यहां सत्ती चौरा की स्थापना कब हुई इसकी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं है, लेकिन यहां आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त किसी माता के सती हो जाने की बात प्रचलित है। पुराने जानकार लोगों के हवाले से समिति के योगेंद्र बंटी शर्मा बताते हैं कि किसी वजह से विचलित सती माता ने योग बल से अग्नि प्रज्ज्वलित किया और उसमें खुद को समर्पित कर दिया। जिस जगह पर माता सती हुई थीं, उस जगह पर चबूतरे के निर्माण कर दिया गया, जो आज सत्ती चौरा के नाम से विख्यात है।


सत्ती चौरा दुर्गा मंदिर में कन्या भोज की अपनी ही विशिष्ट परंपरा है। चैत्र नवरात्रि में मंदिर पहुंचने वाली सभी कन्याओं का पूजन कार भोज कराया जाता है। वहीं क्वांर नवरात्रि में शहर भर की कन्याओं को भोज के लिए आमंत्रित किया जाता है। मंदिर से जुड़े श्रद्धालु कन्याओं को माता के रूप में सजाते हैं और चरण धोकर सामूहिक भोज कराते हैं। कन्याओं को उपहार भी दिया जाता है। पिछली बार 3000 कन्याओं के भोज कराया गया था।


प्राचीन सती स्थल के कारण विख्यात सत्ती चौरा में पूजा अर्चना से जहां लोगों की पीड़ा समाप्त होती है, वहीं मां दुर्गा की कृपा से हर काम निर्विध्न संपन्न हो जाता है। इसलिए इस मंदिर की देशभर में ख्याति है। देवी मां में अपनी आस्था प्रकट करने देशभर के श्रद्धालु ज्योति कलश प्रज्जवलित कराते हैं। इनमें मुंबई, नागपुर, अमरावती, दिल्ली के भी श्रद्धालु शामिल हैं। ब्राजील से भी किसी श्रद्धालु ने यहां इस बार ज्योत जलवाया है। मंदिर में इस बार 381 ज्योति कलश प्रज्ज्वलित किए गए हैं।

यह भी पढ़ें: Lok Sabha Election 2024: इस सीट के ग्रामीण वोटरों को रिझाने में प्रत्याशियों के छूट रहे पसीने