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सब भाषाओं की जननी संस्कृत की कमांड समझने वाला बनेगा कम्प्यूटर

कई भाषाओं में कम्प्यूटर बनाने के बाद अब वैज्ञानिक भाषा संस्कृत की कमांड समझने वाला कम्प्यूटर तैयार करने की तैयारी चल रही है। कम्प्यूटर के लिए बनाए जा रहे प्रोग्राम में संस्कृत को लिपि के रुप में प्रस्तुत करना एक बड़ी चुनौती है। यही कारण है कि दिल्ली में होने वाले अंतराष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन में इस पर विशेष चर्चा होगी।

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सब भाषाओं की जननी संस्कृत का कमांड समझने वाला बनेगा कम्प्यूटर

सब भाषाओं की जननी संस्कृत का कमांड समझने वाला बनेगा कम्प्यूटर

दुर्ग@Patrika. कई भाषाओं में कम्प्यूटर बनाने के बाद अब वैज्ञानिक भाषा संस्कृत की कमांड समझने वाला कम्प्यूटर तैयार करने की तैयारी चल रही है। कम्प्यूटर के लिए बनाए जा रहे प्रोग्राम में संस्कृत को लिपि के रुप में प्रस्तुत करना एक बड़ी चुनौती है। यही कारण है कि दिल्ली में होने वाले अंतराष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन में इस पर विशेष चर्चा होगी। इस अंतरराष्ट्रीय संस्कृत सम्मेलन में शहर के आचार्य निलेश शर्मा शामिल होंगे।

संस्कृत के वाक्य उल्टे हो जाने पर भी अपना अर्थ नहीं बदलते

शहर के संस्कृताचार्य नीलेश ने बताया कि अंतरिक्ष के अध्य्यन से कई भाषाओं में संदेश भेजकर देखा जा चुका है, लेकिन शब्द उलट जाते हंै। जिसके बाद उसका अर्थ निकालने में काफी समय लग जाता है। वहीं संस्कृत के वाक्य उल्टे हो जाने पर भी अपना अर्थ नहीं बदलते। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि सभी शब्द विभक्ति और वचन के अनुसार होते हैं। संस्कृत ऐसी प्राकृतिक भाषा है जिसमें सूत्र के रूप में कम्प्यूटर के जरिए कोई भी संदेश कम से कम शब्दों में भेजा जा सकता है। यही कारण है कि संस्कृत विषय पर कम्प्यूटर तैयार करने और संस्कृत के लंबे चौड़े शब्द की जगह समान अर्थ वाले शब्द के चयन को लेकर लंबे समय से शोध चल रहा है। दिल्ली में होने वाले कार्यशाला में मुख्य चर्चा इसी विषय पर होगी। कार्यशाला में लगभग 18 देशों के विद्वान शामिल होगें। 11 नवंबर तक चलने वाले अंतराष्ट्रीय सम्मेलन का उद्घाटन विदेश राज्य मंत्री मुरली कृष्णन करेंगे। इस कार्यशाला में देश के 593 संस्कृताचार्य शोध पत्र प्रस्तुत करेंगे।

पहले किया है यह प्रयोग
उल्लेखनीय है कि पूर्व में आचार्य निलेश के प्रोजेक्ट को स्कूल शिक्षा विभाग में पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागू किया गया था। संस्कृत विषय को हिन्दी भाषा में न पढ़ाने और लिखने को लेकर उन्होंने सरकारी स्कूलों में कार्यशाला लगाई थी। इस काम में उन्हें सफलता भी मिली। जिले के 30 शासकीय स्कूलों में संस्कृत जनभाषा केन्द्र का संचालन शुरू किया गया जो अब भी चल रहा है।

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