स्कूल के प्राचार्य ने 20 अप्रेल को पालकों के वॉट्सऐप पर मैसेज करके कहा कि बच्चों की पुस्तकें वितरित की जा रही है, इसलिए स्कूल पहुंचें। लॉकडाउन और सोशल डिस्टेंसिंग की बात जानते हुए भी पालकों को स्कूल बुलाया गया, जहां कई सारे पालक एकत्र हो गए। उनको पुस्तकें बांटी भी गईं। जिला शिक्षा विभाग की जांच में स्कूल प्राचार्य ने ये बात खुद स्वीकार की है। मामले में शिकायत के बाद धमधा बीईओ ने जांच कराई। इसमें स्कूल की लापरवाही खुलकर सामने आ गई।
स्कूल शिक्षा विभाग ने बताया कि मान्यता शर्तों साफ कहा गया है कि कोई भी निजी स्कूल कैंपस के भीतर या पालकों से विशेष संपर्क करके निजी पब्लिशर की किताबें नहीं बेचेगा। यदि ऐसा करता है तो यह शर्तों का उल्लंघन होगा। राइज एन साइन स्कूल ने इस नियम को ताक पर रखकर किताबें बेची। स्कूल सिर्फ एनसीईआरटी की किताबें ही पालकों को दे सकते हैं, उसके लिए भी नियम हैं। जो किताबें मंगवाई गई हैं, उनके बारे में विभाग को सूचित करना होता है। आम तौर पर किताबें एनसीईआरटी के पोर्टल पर मुफ्त में मिलती है, यदि किसी को हार्डप्रिंट में चाहिए तो भी इसकी कीमत 40 से 100 रुपयों से अधिक नहीं होती है।
जिला शिक्षा अधिकारी प्रवास सिंह बघेल ने कहा कि कोरोना वायरस नियंत्रण और रोकथाम के समय पालकों को विद्यालय में बुलाना और भीड़ इक_ा कराना धारा-188 का उल्लंघन है। इसलिए शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत मान्यता शर्तों का उल्लंघन करने की वजह से राइज एन साइन स्कूल पर एक लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया।