
दाक्षी साहू@भिलाई. छत्तीसगढ़ में दूषित खून चढ़ाने से 1022 लोग एचआईवी की गिरफ्त में आ गए हैं। स्वास्थ्य विभाग की इस बड़ी लापरवाही का खुलासा हाल ही में जारी आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट में हुआ है। रिपोर्ट के मुताबिक प्रदेश में फिलहाल 25 हजार 537 एचआईवी पॉजीटिव मरीज सरकारी अस्पतालों में रजिस्टर्ड हैं। जिनमें 1022 मरीजों को संक्रमित खून चढ़ाने के कारण एचआईवी संक्रमण हुआ है।राज्य में गलत ब्लड ट्रांसयूजन से एचआईवी के सबसे ज्यादा शिकार दुर्ग और रायपुर के मरीज हुए हैं।
एड्स नियंत्रण कार्यक्रम की पोल खुली
दूषित खून की चपेट में आने वाले कुल पीडि़तों में 40 फीसदी मरीज एचआईवी के हाई रिस्क जोन में पहले से चिन्हित इन दोनों जिलों से हैं, जो एचआईवी का दंश झेल रहे हैं। लिहाजा रिपोर्ट से स्वास्थ्य विभाग के रक्तदान महादान और एचआईवी नियंत्रण कार्यक्रम की पोल खुल गई है। यह पहली बार हो रहा है जब स्वास्थ्य विभाग ने खुद इस बात को स्वीकारा है कि कुल एचआईवी पॉजीटिव मरीजों में चार फीसदी मरीज, रक्त एवं रक्त उत्पादों के कारण एचआईवी संक्रमण से पीडि़त हैं।
नहीं है विंडो पियरेड में ब्लड जांचने की सुविधा
एचआईवी संक्रमण से एड्स जैसी बीमारी होने के चार प्रमुख कारणों में से एक गलत ब्लड ट्रांसफ्यूजन है। असुरक्षित यौन संबंध के बाद दूषित खून चढ़ाने से एचआईवी संक्रमण का प्रसार दर सबसे ज्यादा है। बावजूद दूषित खून के जांच के केवल वैकल्पिक संसाधन राज्य में उपलब्ध है। विंडो पियरेड में ब्लड में एचआईवी के रोगाणु जांचने नेट टेस्ट की सुविधा के लिए स्वास्थ्य विभाग आज भी पड़ोसी राज्यों पर निर्भर है। संग्रहित ब्लड, एचआईवी पॉजीटिव है या निगेटिव जांचने के लिए हम दिल्ली, मुंबई पर निर्भर है।
पीएमओ में दर्ज कराई शिकायत
दो महीने पहले भिलाई के बीएसपी सेक्टर 9 अस्पताल में दो मासूम बच्चों को दूषित खून चढ़ाने से एचआईवी संक्रमण के मामले का खुलासा आरटीआई के माध्यम से हुआ था। छत्तीसगढ़ एड्स कंट्रोल सोसाइटी ने इस मामले में जांच का हवाला देकर पल्ला झाड़ लिया।जिसके बाद परिजनों ने इसकी शिकायत पीएमओ कार्यालय में की। पीडि़तों ने पीएमओ को शिकायत पत्र लिखकर राज्यभर में संचालित ब्लड बैंकों की जांच की मांग करते हुए न्याय की गुहार लगाई है।
लापरवाही के मामले में 9 वें स्थान पर छत्तीसगढ़
नेशनल एड्स कंट्रोल आर्गेनाइजेशन(नाको) ने वर्ष 2015 के वार्षिक रिपोर्ट में देशभर में दूषित खून से एचआईवी संक्रमण फैलने के लापरवाही के मामले में छत्तीसगढ़ को 9 वें स्थान पर रखा था। दो साल पहले ही प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में संचालित 19 ब्लड बैंकों की लचर व्यवस्था पर सवाल खड़े कर दिया था। फिर भी छत्तीसगढ़ एड्स कंट्रोल सोसाइटी इस मामले में लापरवाह बना रहा। जिसका खामियाजा आज 1022 लोग एचआईवी का दर्द लेकर भुगत रहे हैं। वहीं संक्रमित निडिल और सिरिंज के कारण 1276 लोगों को एचआईवी इंफेक्शन हुआ है।
काउंसलिंग के बाद जारी किए गए आंकड़े
छत्तीसगढ़ एड्स कंट्रोल सोसाइटी के अतिरिक्त परियोजना संचालक डॉ. एसके बिंझवार ने बताया कि आर्थिक सर्वेक्षण रिपोर्ट के आंकड़े मरीजों की काउंसलिंग के बाद जारी किए गए हैं। ब्लड में एचआईवी के रोगाणु, विंडों पियरेड में रहते हैं। उस दौरान उसकी उपस्थिति के बारे में बता पाना बहुत मुश्किल होता है। ब्लड बैंकों में खून पूरी तरह जांचने के बाद ही मरीजों को चढ़ाया जाता है। विभाग इसकी लगातार मॉनीटरिंग कर रहा है। लोगों को एचआईवी संक्रमण से बचाने कई तरह के अवेयरनेस प्रोग्राम चलाए जा रहे हैं।
Published on:
17 Feb 2018 11:30 am
बड़ी खबरें
View Allभिलाई
छत्तीसगढ़
ट्रेंडिंग
