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गलवान घाटी में चीनी फौज को करारा जवाब देने वाले ये हैं छत्तीसगढ़ के ले. जनरल हरिंदर सिंह, सैन्य मोर्चे पर ऐसे घेरा धोखेबाज चीन को

छत्तीसगढ़ के स्टील सिटी भिलाई में जन्मे और पले-बढ़े लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह की सैन्य रणनीति आखिरकार रंग दिखाने लगी है। (India china standoff galwan valley)  

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भिलाई

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Dakshi Sahu

Jun 28, 2020

गलवान घाटी में चीनी फौज को करारा जवाब देने वाले ये हैं छत्तीसगढ़ के ले. जनरल हरिंदर सिंह, सैन्य मोर्चे पर ऐसे घेरा धोखेबाज चीन को

गलवान घाटी में चीनी फौज को करारा जवाब देने वाले ये हैं छत्तीसगढ़ के ले. जनरल हरिंदर सिंह, सैन्य मोर्चे पर ऐसे घेरा धोखेबाज चीन को

दाक्षी साहू @भिलाई. छत्तीसगढ़ के स्टील सिटी भिलाई में जन्मे और पले-बढ़े लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह (Lieutenant General Harinder singh) की सैन्य रणनीति आखिरकार रंग दिखाने लगी है। भारतीय सेना के इस जाबांज अफसर ने बीस जवानों की शहादत का बदला शर्तों के साथ चीनी फौज को गलवान घाटी से पीछे हटने पर मजबूर करके लिया है। वो बात अलग है कि धोखेबाज चीन अपनी आदतों से मजबूर है, जिसके चलते दोनों देशों के बीच अभी भी इस क्षेत्र में तनाव कायम है। लद्दाख में भारत-चीन सीमा विवाद पर कोर कमांडर स्तर के बैठक का नेतृत्व करने वाले लेफ्टिनेंट जनरल सिंह 6 जून से चीनी फौज के अधिकारियों के साथ द्विपक्षीय वार्ता कर रहे थे। 22 जून को लगातार 11 घंटे चली बैठक के बाद वे आखिरकार चीन को सैन्य मोर्चे पर घेरने में सफल हुए। सख्त रूख अख्तियार करते हुए उन्होंने न सिर्फ भारत की शर्त भी मनवाई बल्कि दुनिया के सामने भारतीय फौज का सिर भी ऊंचा कर दिया। गलवान घाटी में चीनी सेना के साथ हिंसक झड़प के बाद चीन ने स्वयं 22 जून को कोर कमांडर स्तर की बैठक की पहल की थी। देशहित को सर्वोपरि मानने वाले छत्तीसगढ़ के इस अफसर की कुशल नेतृत्व क्षमता को देखकर आज पूरा प्रदेश खुद को गौरवान्वित महसूस कर रहा है।

भिलाई में हुई प्राथमिक शिक्षा, बचपन से देखा सेना में जाने का सपना
लद्दाख में भारत-चीन सीमा विवाद पर सबसे बड़ी और महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह का जन्म भिलाई में हुआ है। प्राथमिक और हायर सेकंडरी शिक्षा भिलाई के बीएसपी सेक्टर 9 और 10 स्कूल से हुई है। उनके पिता दिवंगत सरदार गुरूनाम सिंह भिलाई स्टील प्लांट में मैनेजर थे। लेफ्टिनेंट जनरल सिंह के परिवार से ताल्लुक रखने वालों ने बताया कि वे बचपन से सेना में जाने का सपना देखते थे। आज उनकी सैन्य रणनीति की बदौलत भारत ने चीन को बड़ा सबक सिखाते हुए भारतीय सीमा से उसे पीछे हटने पर मजबूर कर दिया है।

साल 2010 में चीन सीमा विवाद पर लिखा था रिसर्च पेपर
साल 2010 में ले. जनरल हरिंदर सिंह कर्नल के पद पर थे। उन्होंने 'इमरजिंग लैंड वॉरफाइटिंग डॉक्टराइन्स एंड केपेबिलिटीजÓ के टाइटल के साथ रिसर्च पेपर लिखा था। उन्होंने लिखा था कि भारत और चीन सन् 1962 के बाद से ही अपने सीमा विवाद को सुलझाने में लगे हुए हैं। बॉर्डर पर टकराव एक ऐसा मसला है जिसे रोका न जाए तो वह एक स्थानीय संघर्ष में तब्दील हो जाता है। 10 साल बाद उनकी लिखी बात गलवान घाटी में चीन के साथ हिंसक झड़प के रूप में सामने आई है। अब ले. जनरल इसी टकराव को सुलझाने के लिए 6 जून से लगातार चीनी फौज के साथ बैठक कर रहे थे।

लेह स्थित 14वीं कोर के कमांडर
ले. जनरल हरिंदर सिंह लद्दाख की राजधानी लेह स्थित 14वीं कोर के वर्तमान कमांडर हैं। इस कमांड को 'फायर एंड फ्यूरीÓ के नाम जाना जाता है। ले. जनरल सिंह को काउंटर इनसर्जेंसी का एक्सपर्ट माना जाता है। 14 कोर को कमांड करने से पहले वह सेना के कई अहम पदों पर सेवाएं दे चुके हैं। 14 कोर पर आने से पहले वह डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री इंटेलीजेंस, डायरेक्ट जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशंस और डायरेक्टर जनरल ऑफ लॉजिस्टिक्स एंड स्ट्रैटेजिक मूवमेंट को संभाल चुके हैं। नेशनल डिफेंस एकेडमी (एनडीएस) से पास आउट ले. जनरल सिंह अफ्रीका में यूनाइटेड मिशन के साथ भी तैनात रहे हैं।

उत्कृष्ट सेवा के लिए मिला सम्मान
लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह को सेवा मेडल, विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल और अति विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया जा चुका है।