
Bhilai नंदिनी माइंस से लाइम स्टोन के टारगेट को बढ़ा रहा प्रबंधन
भिलाई. भिलाई इस्पात संयंत्र प्रबंधन नंदिनी खदान से लाइम स्टोन का उत्पादन करीब पांच गुना लेने की तैयारी में है। बीएसपी और सेल के दूसरे संयंत्रों में जयसलमेर व कोटेश्वर से चूना पत्थर (लाइम स्टोन) की आपूर्ति की जाती है। वर्तमान में दोनों ही स्थानों से पहले की तरह लाइम स्टोन नहीं पहुंच रहा है। यही वजह है कि बीएसपी-सेल प्रबंधन का फोकस अब नंदिनी माइंस पर है। बीएसपी के पास अपने खदान में काम करवाने के लिए कर्मचारी नहीं है। वहीं संसाधन भी और चाहिए। ऐसे में प्रबंधन निजी हाथों से खनन व आपूर्ति का काम करवाना चाहती है।
1 लाख टन से अधिक कर रहे थे उत्पादन
नंदिनी खदान से हर साल करीब 1 लाख से 1.5 लाख टन तक लाइम स्टोन का उत्पादन किया जा रहा था। नंदिनी माइंस से धीरे-धीरे कर कर्मचारी रिटायर्ड होने लगे। नई भर्ती नहीं होने की वजह से अब यहां सन्नाटा पसरा रहता है। अब उत्पादन को पांच गुना तक बढ़ाने की योजना है। इससे बीएसपी के साथ-साथ सेल के अन्य संयंत्रों को भी यहां से लाइम स्टोन की अधिक से अधिक आपूर्ति की जा सकेगी।
कर्मचारी और उपकरण दोनों की है जरूरत
नंदिनी माइंस में 1997 के पहले करीब 6 हजार नियमित कार्मिक थे। अब मुट्ठीभर कर्मचारी रह गए हैं। तब नंदिनी से ही इतना लाइम स्टोन का उत्पादन हो जाता था कि बाहर से आयात करने की जरूरत नहीं पड़ती थी। यहां के टाउनशिप में बहार थी। अब वहां के आवास खंडहर हो चले हैं। वर्तमान में नंदिनी खदान से लाइम स्टोन खनन कर आपूर्ति करने के लिए पहले कर्मचारी और उसके बाद उपकरण दोनों की ही जरूरत है। प्लांट को सावेल, ड्रीलिंग मशीन, डंफर की भी जरूरत है।
राउरकेला और बोकारो को भी करना है आपूर्ति
सेल की इकाई राउरकेला और बोकारो के लिए भी जयसलमेर और कोटेश्वर से लाइम स्टोन की आपूर्ति की जाती रही है। इसके अलावा अरब देश से भी लाइम स्टोन आयात करते हैं। अब सेल की इन दोनों इकाई को भी भिलाई से ही लाइम स्टोन की आपूर्ति की जानी है।
गुणवत्ता में हो रही सुधार
प्रबंधन के मुताबिक पिछले साल की तुलना में सिलका की मात्रा में सुधार आ रहा है। पहले सिलका 6.8 फीसदी लाइम स्टोन में मिल रहा था। अब घटकर 6.3 फीसदी हो गया है। इसे और घटा कर 6 फीसदी करने की योजना है। नंदिनी खदान प्रबंधन इस दिशा में काम कर रहा है।
यहां होता है उपयोग
नंदिनी से आने वाले लाइम स्टोन का इस्तेमाल भिलाई इस्पात संयंत्र के ब्लास्ट फर्नेस व सिंटरिंग प्लांट में फ्लस्क के रूप में किया जाता है। वहीं विदेश से आने वाले लाइम स्टोन का उपयोग आरएमपी व सिंटरिंग प्लांट में किया जाता है।
Published on:
06 Mar 2023 08:54 pm
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