Rathyatra 2021: महाप्रभु के बीमार होने के बाद मंदिरों में न तो घंटे बज रहे हैं, और न ही गर्भगृह के दरवाजे खोले जा रहे हैं।
भिलाई. स्नान पूर्णिमा में खूब नहाने के बाद बीमार पड़े भगवान जगन्नाथ (Lord jagannath) स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं। वे इन दिनों अणसर गृह में आंखें बंद कर पेट के बल लेटे हुए हैं। 15 दिनों तक गर्भगृह से अलग वे दूसरे भवन में आयुर्वेदिक औषधि से युक्त काढ़ा पी रहे हैं। इन दिनों बीमार महाप्रभु को अब भोजन के बदले सिर्फ काढ़ा ही पिलाया जा रहा है ताकि वे जल्दी ठीक हो। मंदिर के पुजारियों ने बताया कि बीमार पड़े महाप्रभु को एक बीमार व्यक्ति को जिस तरह औषधि खिलाई जाती है ठीक उसी तरह महाप्रभु को भी यह काढ़ा पिलाया जा रहा है।
परंपरा से सीखें कैसें रखें ख्याल
महाप्रभु के बीमार होने के बाद मंदिरों में न तो घंटे बज रहे हैं, और न ही गर्भगृह के दरवाजे खोले जा रहे हैं। भक्तों की मानें तो भगवान जगन्नाथ विष्णु का स्वरूप है, और मानव स्वरूप में वे जगन्नाथ के रूप में धरती पर आए, इसलिए वे बीमार भी पड़ते हैं। इसलिए उन्हें उपचार की भी जरूरत पड़ती है। पुजारी बताते हैं कि आषाढ़ में बारिश शुरू हो जाती है, लोग इस बारिश में भीगते हैं और बीमार भी पड़ जाते हैं। महाप्रभु भी बारिश में खूब नहाकर बीमार पड़ गए। यह परंपरा हमें सिखाती है कि हमें बारिश में अपना ख्याल किस तरह रखना चाहिए। पुजारी पितवास पाढ़ी ने बताया कि जिस तहरह भगवान को काढ़ा पिलाया जा रहा है, उसी तरह जुकाम में हमें भी आयुर्वेदिक काढ़े का उपयोग करना चाहिए। उन्होंने बताया कि महाप्रभु के काढ़े की विधि किसी को नहीं बताई जाती, लेकिन उस काढ़े में पीपली, जावित्री, शहद, नीम, केशर सहित कई ऐसे मसालों का उपयोग किया जाता है, जो शरीर को सर्दी, जुकाम, बुखार आदि में लाभदायक माने जाते हैं।
जगन्नाथ रथ यात्रा इस साल 12 जुलाई से शुरू होगी
जगन्नाथ रथ यात्रा इस साल 12 जुलाई से शुरू होगी जिसका समापन 20 जुलाई को होगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार, रथ यात्रा हर साल आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को निकाली जाती है। भगवान जगन्नाथ जी के स्मरण में निकाली जाने वाली जगन्नाथ यात्रा हिन्दू धर्म का बेहद प्रसिद्ध त्योहार है। हर साल पुरी (उड़ीसा) में जगन्नाथ रथ यात्रा का विशाल आयोजन होता है। कहते हैं कि इस यात्रा के माध्यम से भगवान जगन्नाथ साल में एक बार प्रसिद्ध गुंडिचा माता के मंदिर में जाते हैं।