9 अक्टूबर को संयंत्र के कोक ओवन गैस पाइप लाइन में विस्पोट हो गया था। इस हादसे में ९ बीएसपी कर्मी और ५ फायर ब्रिगेड के जवानों की मौत हो गई थी। घटना के दिन मौके पर ही 9 व बाद में बीएसपी के जवाहर लाल नेहरू चिकित्सालय एवं अनुसंधान केंद्र सेक्टर-9 में इलाज के दौरान 5 और कर्मियों ने दम तोड़ दिया। बाद में मृत 5 कर्मियों का शव उनके परिजन को सौंप दिया गया था। अंतिम संस्कार भी कर दिया गया। शिनाख्ती की दिक्कतें घटनास्थल पर मृत ९ कर्मियों के शव को लेकर थी।
घटना के दूसरे दिन 10 अक्टूबर को सभी मृत कर्मियों के परिजन को बुलाकर पारी-पारी से शव दिखाकर शिनाख्ती करवाई गई। जिसमें ८ के परिजन ने शरीर पर निशान व कपड़े के अवशेष आदि के आधार पर पहचान करने का दावा किया, लेकिन एक कर्मी के परिजन ने संदेह जताते हुए डीएनए टेस्ट कराने की मांग की। आखिर में पुलिस ने सभी 9 शव का डीएनए टेस्ट कराने का निर्णय लिया। पुलिस का यही फैसला सही रहा।
एएसपी विजय पांडेय ने बताया कि शव की पहचान को लेकर कुछ पीडि़त परिवार की आपत्ति को देखते हुए पुलिस अधीक्षक डॉ. संजीव शुक्ल ने सभी शव की डीएनए जांच करवाने के बाद शव सौंपने का निर्णय लिया। अधिक जल जाने की वजह से शव से टिशु उम्मीद के मुताबिक नहीं मिल रहा था। इस वजह से टिशू के साथ बोन की भी जांच की गई। दोनों की जांच करने की वजह से अधिक समय लगा। इस काम में दो विशेषज्ञ लगातार जुटे रहे।
डीएनए जांच रिपोर्ट आने के बाद पता चला कि ४ शव की पहचान गलत हो रही थी। परिजन द्वारा की गई शिनाख्ती और उनके डीनीए जांच रिपोर्ट में अंतर आया। बीएन राजपूत और गणेश राम का शव बदल रहा था। गणेश का शव राजपूत और राजपूत का शव गणेश के परिजन को सौंपने वाले थे। मलखम प्रसाद के परिवार को इंद्रमण दुबे का तथा इंद्रमण के परिजन को मलखम का शव मिल रहा था। डीएनए जांच के बाद सभी के शव उनके अपने परिजनों को सौंप दिया गया।
गैस हादसे में बुरी तरह झुलसने की वजह से ९ शव की पहचान में मुश्किल हो रही थी। फिर भी घरवालों की किसी तरह पहचान कर ली थी। डीएनए जांच के बाद एसए अहमद, संजय चौधरी, देवनारायण तारण, केआर ध्रुव और उदय पांडेय के शव की शिनाख्त परिवारजन ने सही की थी।
सेक्टर-8 में रहने वाले एसए अहमद के भाई ने बताया कि गुरुवार को जोहर की नमाज के बाद तदफीन रामनगर कब्रिस्तान में किया जाएगा। बीएन राजपूत के परिजन भी मुंबई से आ रहे हैं, इस वजह से वे भी शव नहीं लिए। वे गुरुवार को शव ले जाएंगे। इधर गणेश राम का परिवार शव लेने से ही इनकार कर दिया। अनुकंपा नियुक्ति को लेकर प्रबंधन का रुख देखकर वे इसके लिए तैयार नहीं हुए।