
सात खेल संघों ने सरकारी अनुदान से किया तौबा, COA ने खोला खेल विभाग के खिलाफ मोर्चा, पूछा कैसे खेलें इंडिया ?
भिलाई. एक तरफ सरकार खेल संघों को लाखों का अनुदान मुहैया करा रही है, लेकिन जिले में सात ऐसे संघ हंै, जिन्होंने 8 साल से अनुदान का एक रुपया तक नहीं लिया है। कुश्ती, बॉक्सिंग और तैराकी जैसे ओलंपिक खेलों के इन संघों ने एक दशक से खेल एवं युवा कल्याण विभाग से अनुदान का रिश्ता तोड़ दिया है। फंड देने में लेट लतीफी और ऊंट के मुंह में जीरा जैसा मामूली अनुदान के कारण इन संघों ने हाथ खींच लिया। इतने साल में संघ नवीनीकरण की प्रक्रिया पूरी ही नहीं की। विभाग ने जितना फंड दिया, उतना खिलाडिय़ों को प्रतियोगिताओं में भेजने पर खर्च हो गया। खेल संघों (Sports associations in Chhattisgarh) को यह बात समझ में आई कि छोटे बजट की प्रक्रिया पूरी करने में समय बिताने से बेहतर आपसी रिसोर्स का उपयोग होगा। (Sports in Chhattisgarh)
नए नियम से अनुदान नहीं
प्रतियोगिताओं के आयोजन और खिलाडिय़ों की डाइट मनी बढ़ाने का नया नियम गत वर्ष अक्टूबर से लागू हो गया है, जिसका प्रकाशन भी राजपत्र में उसी माह हो चुका है। इसके बाद खेल संघों ने शीर्ष अधिकारियों के कहने पर लाखों रुपए खर्च कर राज्य स्तरीय प्रतियोगिताएं और प्रशिक्षण शिविर करा लिया। लेकिन, अब विभाग के आए नए शीर्ष अधिकारी बढ़ी अनुदान राशि उपलब्ध नहीं करा रहे हैं।
संचालक से हुई संघों की मुलाकात
छत्तीसगढ़ ओलंपिक एसोसिएशन (सीओए) ने खेल विभाग के खिलाफ मोर्चा खोला है। प्रतियोगिता व प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने के बाद भी अनुदान की बकाया लाखों रुपए विभाग द्वारा स्वीकृति न करने के कारण खेल संघों के प्रतिनिधि संचालक दफ्तर के चक्कर लगा रहे हैं। शनिवार को सीओए के उपाध्यक्ष बशीर अहमद ने इस संबंध में खेल संचालक से मुलाकात कर बीते साल से अब तक अनुदान मुहैया कराने बैठक की। इन विवाद के कारण फिलहाल खिलाडिय़ों को पर्याप्त सुविधा नहीं मिल पा रही है।
आचार संहिता के कारण रोका अनुदान
सहायक संचालक विलियम लकड़ा ने बताया कि पिछले साल का अनुदान आचार संहिता की वजह से रोका गया था। सत्र मेें 13 संघों को अनुदान जारी किया गया। इसमें हंैडबॉल, कराते, फेंसिंग, बास्केटबॉल और जूडो शामिल हैं। 2019-20 के लिए एथेलेटिक्स को अनुदान दिया गया है। शेष की प्रक्रिया जारी है। सात खेल संघों ने दशक से नवीनीकरण नहीं कराया है। उपाध्यक्ष, तैराकी संघ सहीराम जाखड़ ने बताया कि जितना अनुदान मिलता था, उससे प्रशिक्षण और प्रतियोगिता संपन्न कराना मुश्किल था। इसलिए अनुदान नहीं लिया।
Published on:
15 Dec 2019 04:15 pm
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