
नवरात्रि पर पारंपरिक गहनों और लुगरा से श्रृंगार
हमेशा पारंपरिक वेशभूषा में
अपनी संस्था रूपाली महतारी गुड़ी के माध्यम से शांता और उनकी साथी किसी भी कार्यक्रम में हमेशा छत्तीसगढ़ी वेशभूषा और छत्तीसगढ़ के पारंपरिक गहने पहनकर ही जाती है। वह बताती हैं कि पुराने समय में छत्तीसगढ़ के प्रसिद्ध देवी मंदिर दंतेवाड़ा की माई दंतेश्वरी, रतनपुर की माई महामाया, डोंगरगढ़ की माई बम्लेश्वरी और अंबिकापुर के महामाया मंदिर में राजा का परिवार उनका पारंपरिक गहनों से श्रृंगार किया करता था, लेकिन कई मंदिरों में गहने गायब हो गए और रजवाड़ों के खत्म होने के बाद यह परंपरा भी खत्म हो गई। वे अब इस परंपरा को दोबारा ंिजंदा करने नवरात्रि पर कुछ मंदिरो ंमें माता का श्रृंगार छत्तीसगढ़ी गहने और लुगरा से करती हैं।
कन्याओं को भी पारंपरिक गहने
शांता ने बताया कि नवमीं के दिन वह कन्या पूजन में भी कन्याओं को पारंपरिक वेशभूषा में तैयार कर भोजन कराती है, ताकि वे हमारी छत्तीसगढ़ महतारी की संस्कृतिक को जान सकें। शांता ने अब तक गहनों के प्रचार के लिए सांस्कृतिक यात्रा के दौरान पूरे छत्तीसगढ़ की यात्रा की है। इस दौरान वे स्कूल और कॉलेजों में जाकर गहनों की प्रदर्शनी भी लगाती है। उन्होंने बताया कि उनके पास दो सौ से ज्यादा लुप्त हो चुके पारंपरिक गहने हैं।
Published on:
05 Apr 2022 08:45 pm
