गोपी पहले कक्ष के एक कोने में चला गया। कर्मचारियों ने उसे पास बुलाया, तो वह उदास भाव से धीमे-धीमे कदम बढ़ाते हुए पिंजरे में कदम रखा। कर्मियों ने जल्दी से पिंजरे को बंद किया, तो वह उनको पलटकर देखने लगा।
कर्मचारियों ने कक्ष के पीछे जाकर जमकर हल्ला किया। तरह-तरह से आवाज निकाली, ताकि सोनम बाहर रखे पिंजरे में चली जाए। सोनम आवाज सुनकर कर्मियों को एकटक देखती रही। यह देख चिकित्सक भी हैरान रह गए।
सोनम जिनकी आवाज को सुनकर दौड़कर चली आती थी, उनकी तमाम कोशिशों के बाद भी एक कदम आगे नहीं बढ़ा रही थी।
लालच भी नहीं आया काम
सोनम को पिंजरे में लाने के लिए कर्मियों ने जिंदा मुर्गा और मटन का लालच दिया। मायूस सोनम उस लालच में भी नहीं आई। मुर्गा और मटन को देख मुंह घुमा लिया। यह देख चिकित्सक निराश होकर वहां से अपने कक्ष में जाकर बैठ गए।
बाघ के जोड़े को ट्रक में चढ़ाने के दौरान मैत्रीबाग में मौजूद पर्यटकों ने सोनम की ढेर सारी फोटो खींची। इस बीच बच्चों में बाघ को करीब से देखने को लेकर उत्साह नजर आ रहा था। डॉ. जीके दुबे, डॉ. एनके जैन की मौजदूगी में रवाना किया।