
पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी
भीलवाड़ा: पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने कहा कि वर्तमान दौर में स्त्रियों और लड़कियों को लेकर देश में जो वातावरण बना है, वह सम्मानजनक नहीं है। यही सबसे बड़ी पीड़ा और वेदना है। वेदना किताबों में नहीं है। न ही उसे पढ़ाया जाता। इसके पीछे बड़ा कारण शिक्षा और पाश्चात्य संस्कृति का जीवन में हावी होना है। आज की शिक्षा ने न केवल लड़कों को नौकरी के हिसाब तक सीमित कर दिया, बल्कि लड़कियों का भी यही हाल कर उनमें अंतर पैदा किया है।
कोठारी बुधवार को पत्रिका के संस्थापक श्रद्धेय कर्पूरचंद्र कुलिश के जन्म शताब्दी वर्ष के उपलक्ष में भीलवाड़ा के नगर निगम स्थित महाराणा प्रताप सभागार में ‘स्त्री देह से आगे’ विषय विवेचन कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हम अपनी जमीन छोड़ दूसरों की नकल की तरफ मुड़ गए हैं। बस यहीं से हमारा अपमान शुरू हुआ।
इससे हमारी जीवन शैली के साथ संस्कृति भी प्रभावित हुई है। उन्होंने नारी शक्ति का आह्वान करते हुए कहा कि वह उन शक्तियों को पुनर्जीवित करें, जिनके बूते नारी की पूजा होती आई। ऐसे में देश फिर गौरवशाली बनेगा।
पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी ने कहा कि आज की साइंस कहती है कि दो तत्व हैं, एक मेटर और दूसरा एनर्जी। दोनों कभी खत्म नहीं होते हैं। अर्धनारीश्वर एक सिद्धांत है। व्यक्ति आधा पुरुष और आधी स्त्री है तो स्त्री आधा पुरुष और आधी स्त्री है। यानी पुरुष में स्त्री के गुण भी होने चाहिए और स्त्री में पुरुष के, लेकिन आज की शिक्षा ने इस सिद्धांत को ही भुला दिया है।
गुलाब कोठारी ने कहा कि जिंदगी मन से चलती है। लड़की तो मन में सपने लेकर बड़ी हो रही है। लेकिन, लड़कों के मन में कोई सपने नहीं हैं। लड़की के मन में शुरू से वात्सल्य बढ़ता जा रहा है। शरीर और आत्मा एक है, यह समझने की जरूरत है। मेरा शरीर मतलब मैं नहीं हूं। यह भी हमें समझना बहुत जरूरी है।
उन्होंने कहा कि मृत्यु और अमृत लोक में एक ही सिद्धांत है। हमारे यहां आत्मा से आत्मा की शादी होती है। हम कहते हैं कि शादी सात जन्मों तक चलती है। क्योंकि आदमी के अंदर सात पीढ़ियों के जिंस रहते हैं। जैसे ही स्त्री-पुरुष एक होंगे तो वो संपर्क सात पीढ़ियों से हो रहा है। आत्मा शब्दों के साथ जुड़ी हुई है। सारे मंत्रों के साथ दोनों आत्माओं को जोड़ा जा रहा है।
गुलाब कोठारी ने कहा कि मनुष्य के शरीर में लक्ष्मी ही आत्मा को लाती है। लक्ष्मी पृथ्वी है और पृथ्वी के जरिये अन्न आ रहा है। मां के शरीर में आत्मा आती है तो मां को पता चल जाता है कि मेरे शरीर में नया मेहमान पहुंच गया है। यह आसान बात नहीं है। शरीर कर्मों के कारण मिलता है। जो जैसा कर्म करता है, उसे वैसी ही योनी मिलती है। मां समझ जाती है कि नया मेहमान कौन से शरीर को छोड़कर आया है। यह है मां की ताकत। अगर मां को यह नहीं पता होगा तो उसे इंसान कैसे बनाएगी?
उन्होंने कहा कि मां गर्भ में ही जीव को मानव के संस्कार प्रदान करती है। यही मां की दिव्यता है। वह जीव जो अपने पूर्व जन्म में पशु शरीर में रहा हो, तो मां अपने सपनों, खानपान आदि संकेतों से जानती है कि जीव कहां से आ रहा है। मां जीव के शरीर का निर्माण करती है और उस जीव के आत्मा को भी संस्कारित कर रही है।
गुलाब कोठारी ने कहा कि मां को नए मेहमान का भूतकाल, वर्तमान और भविष्यकाल दिखता है, इसे ही मां की दिव्यता कहते है। जीवन की दिव्यता को समझकर चलें। हम शरीर के माध्यम से आत्मा के रूप में जी रहे हैं। शरीर आवरण है मेरा, यही ध्यान रखने की जरूरत है। यह शरीर मां है तो मां भी मेरा आवरण है। दूर तक देखेंगे तो आंखों बदलनी पड़ेगी या चश्मे बदलने पड़ेंगे। कार्यक्रम में गृहिणियां, महिला अधिकारी-कर्मचारी, सामाजिक संगठनों से जुड़ी महिलाएं, कॉलेज, स्कूल, नर्सिंग, एनसीसी की छात्रा कैडेट, महिला वकील, डॉक्टर और सीए मौजूद रहे।
जो संस्कार संतान को मिलेंगे वही आचरण में दिखेगा
कार्यक्रम के दौरान कई महिलाओं ने सवाल किए। प्रतिभागी माया कंवर ने पूछा कि महिलाओं को भगवान का दर्जा है, लेकिन बच्चियां आज भी सुरक्षित नहीं हैं? इस पर कोठारी ने बताया, समाज का निर्माण महिलाएं कर रही हैं। जिंदगी की सबसे पहली गुरु मां है। बचपन में ही बच्चे को संस्कार देने चाहिए ताकि वह किसी का अपमान नहीं कर सके। जो संस्कार संतान को मिलेंगे वही आचरण में दिखेगा।
अगर आपने अच्छे संस्कार नहीं दिए तो वह समाज में जानवर के रूप में काम करेगा और आज यही हो रहा है? ऐसे समाज का निर्माण करें जो आपका व समाज का सम्मान करता हो। कार्यक्रम के आरंभ में कोठारी के साथ ही सांसद दामोदर अग्रवाल, महापौर राकेश पाठक, पुलिस अधीक्षक धर्मेन्द्र सिंह यादव, भीलवाड़ा डेयरी प्रबंधक बीके पाठक, समाजसेवी कैलाश सोनी आदि ने दीप प्रज्वलित किया।
Updated on:
10 Jul 2025 07:58 am
Published on:
09 Jul 2025 07:15 am
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