पिछले साल भी यही हाल पिछले शिक्षा सत्र में भी पहली से आठवीं तक के विद्यार्थियों को निशुल्क यूनिफॉर्म वितरण योजना को लेकर यही हाल था। तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इसके लिए बजट समय पर नहीं दिया था। बाद में केवल यूनिफॉर्म का कपड़ा ही दिया। सिलाई के 200 रुपए के बजट के लिए भी बच्चों को इंतजार करना पड़ा। ऐसे में विद्यार्थी सिलाई करवाकर यूनिफॉर्म नवंबर-दिसबर में पहन सके। हालांकि कई विद्यार्थियों ने अभिभावकों से राशि लेकर यूनिफॉर्म सिलवाई थी। इस बार पता नहीं यूनिफॉर्म कब नसीब होगी।
निशुल्क यूनिफॉर्म का इंतजार सरकारी स्कूलों में पहली से आठवीं तक के छात्रों को यूनिफॉर्म निशुल्क कपड़ा व सिलाई की राशि उपलब्ध करवाई जाती है। शाला दर्पण के अनुसार प्रदेश की सरकारी स्कूलों में 56.68 लाख विद्यार्थी अध्ययन कर रहे हैं। जिन्हें निशुल्क यूनिफॉर्म का इंतजार है।
लगेंगे चार माह उद्यमी निलेश बांगड़ ने बताया कि टेंडर खुलने व आदेश मिलने के बाद भी स्कूल यूनिफॉर्म की आपूर्ति में 90 दिन यानी तीन माह लगेंगे। फिलहाल टेंडर प्रक्रियाधीन है। टेंडर खुलने के बाद भी कपड़े के सैम्पल की जांच में समय लगेगा। ऐसे में स्कूल यूनिफॉर्म के आदेश के बाद भी चार माह से अधिक का समय लगेगा।
दस उद्योगों ने लिया हिस्सा राजकीय विद्यालयों के कक्षा 6 से 8 तक के समस्त विद्यार्थी एवं कक्षा 9 से 12 की छात्राओं के लिए यूनिफॉर्म फैब्रिक की बोली में 10 फर्मों के तकनीकी प्रस्तावों को खोले जाने की स्वीकृति दी है। अभी तक दर सामने नहीं आई है। इन दस उद्योगों में भीलवाड़ा की कंचन इंडिया, सुविधि रेयॉन्स, संगम इंडिया शामिल है। मुम्बई व अन्य राज्यों से नंदन डेनिम, पदमचंद मिलापचंद जैन, एसएएएम टेक्सटाइल्स, जीबीटीएल, सुनील इंडस्ट्रीज, अरविंद कॉटश्याम तथा मफतलाल इंडस्ट्रीज शामिल है।