
The problem of data mismatch is not getting resolved in Apaar
Bhilwara news : ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री मतलब अपार आईडी विद्यार्थियों की बनाने का काम जिले से लेकर प्रदेश भर में चल रहा है। जिले में 40 फीसदी के लगभग अपार आईडी बनाने का कार्य पूरा हो चुका है। शेष 60 प्रतिशत में से ज्यादातर विद्यार्थी वे हैं जिनका डाटा मैच नहीं हो रहा है। मिस मैच के कारण अपार आईडी बनाने का लक्ष्य हासिल के लिए सरकारी विद्यालयों के संस्था प्रधानों एवं शिक्षकों को माथापच्ची करनी पड़ रही है। ऊपर से शिक्षा अधिकारी निरंतर दबाव बना रहे हैं कि शत-प्रतिशत कार्य पूर्ण किया जाए।
इसमें पेच यह है कि विद्यार्थी की अपार आईडी बनाने के लिए अभिभावकों की सहमति जरूरी है जो डाटा संशोधन कराने के चलते नहीं मिल पा रही है। गौरतलब है कि अपार आईडी, देश में सभी विद्यार्थियों के लिए डिजाइन विशेष पहचान प्रणाली है। यह पहल सरकार के शुरू वन नेशन, वन स्टूडेंट आईडी का हिस्सा है, जो नई शिक्षा नीति से जुड़ा है।
नहीं मिल रहा पर्याप्त सहयोग
अपार आईडी का निर्माण यू-डाइस प्लस पोर्टल से किया जा रहा है। इस पर दर्ज विद्यार्थी की डिटेल यथा नाम, पिता का नाम, जन्म दिनांक आदि आधार कार्ड में समान होने के साथ ही माता-पिता के आधार की डिटेल से भी समान होना जरूरी है। दिक्कत है कि गलतियों को सही करने के लिए आधार कार्ड का अपडेट करवाना जरूरी है। इसमें चाही गई सूचना के लिए अभिभावकों का पर्याप्त सहयोग नहीं मिल पा रहा है।
मिस मैच से संकट
यू-डाइस प्लस पोर्टल पर दर्ज विद्यार्थियों की डिटेल तथा माता-पिता के आधार कार्ड की डिटेल मिस मैच हो रही है। इसमें संशोधन तथा विद्यार्थी के नाम आदि में सुधार कराने के इच्छुक जो अभिभावक हैं, वे फिलहाल अपार आईडी बनाने के लिए अनुमति नहीं दे रहे हैं। निर्धारित सहमति पत्र पर अभिभावक के हस्ताक्षर अनिवार्य हैं, इस पत्र के अभाव में शिक्षक अपार आईडी नहीं बना सकते।
अभिभावकों की पीड़ा
अभिभावकों ने बताया कि बच्चे के नाम वगैरह में परिवर्तन कराना है। विद्यालय प्रबंधन शीघ्र ही अपार आईडी बनवाने का दबाव बना रहे हैं। ऐसे में सहमति पत्र नहीं दे रहे ताकि अपार आईडी सही जानकारी के साथ ही बन सके।
एक ब्लॉक की स्थिति
Published on:
26 Dec 2024 11:09 am
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