योजना के तहत ऐसे कृषक जो लगातार जैविक कृषि व उद्यानिकी फसलों का उत्पादन कर रहे हैं, उनका प्राथमिकता से चयन किया जाएगा। जिले से पुरस्कार के लिए जिला कलक्टर की अध्यक्षता में समिति का गठन कर व कृषि अधिकारियों को शामिल करके सत्यापित करके प्रविष्ठी आगे भेजी जाएगी। चयन के लिए कृषि से जुड़े फोटोग्राफ व पेनड्राइव भी भिजवाई जाएगी। राज्य पुरस्कार के लिए तीन कृषकों का चयन किया जाएगा।
कृषकों के चयन के मापदंड सरकारी या निजी प्रमाणीकरण, वर्मी कपोस्ट इकाई निर्माण व उपयोग, जैविक विधि से उपयोग बीजोपचार निर्माण, जैव उर्वरक खाद वर्मी, जैव कीट रोग प्रबंधन, हरी खाद, जैविक उत्पाद व इनका निर्यात, जैविक खेती से संबंधित साहित्य तैयार करना, जिला व उपजिला स्तर पर अवार्ड प्राप्त करने, जैविक विधियों का परीक्षण, जैविक गतिविधि नवाचार, कृषक ट्रेनिंग, कीटनाशी अवशेष परीक्षण, मृदा परीक्षण रिपोर्ट, जैविक उत्पाद का जैविक विधि से भंडारण, जैविक कृषि रूचि समूह, कृषि संबंधित साहित्य व पत्र-पत्रिकाओं, जैविक किसान मेला या गोष्ठी में सहभागिता, कृषि द्वारा राज्य या अंतरराज्य भ्रमण जैसे 20 बिंदुओं के आधार पर कृषकों का चयन होगा।
आवेदन मांगे है जैविक खेती अपनाकर उत्पादन करने वाले कृषकों के लिए योजना तैयार की गई है। मापदंड पूरे करने वाले कृषकों को एक लाख रुपए तक पुरस्कार दिया जाएगा। क्षेत्र में करीब 1500 हेक्टेयर जमीन पर जैविक खेती की जा रही है। 75 समूह बने हुए है।
– गोपाललाल कुमावत, उप निदेशक, कृषि विस्तार, भीलवाड़ा