जैन मंदिर में विश्व शांति जगत कल्याण की कामना को लेकर सिद्धचक्र महामंडल विधान का आयोजन आचार्य सुन्दर सागर संसध के सानिध्य में किया जा रहा है। मंगलवार को सिद्ध भगवान की पूजा कर विश्व शांति की कामना की गई। आचार्य ने कहा कि जैन धर्म में सिद्धचक्र विधान का विशेष महत्व है। सिद्ध शब्द का अर्थ है कृत्य-कृत्य। चक्र का अर्थ है समूह और मंडल का अर्थ एक प्रकार के वृताकार यंत्र से है। इनमें अनेक प्रकार के मंत्र व बीजाक्षरों की स्थापना की जाती है। मंत्र शास्त्र के अनुसार, इसमें अनेक प्रकार की दिव्य शक्तियां प्रकट हो जाती है। सिद्धचक्र महामंडल विधान समस्त सिद्ध समूह की आराधना मंडल की साक्षी में की जाती है। जो हमारे समस्त मनोरथों को पूर्ण करती है। जैन दर्शन में अष्टनिका महापर्व का विशेष महत्व बतलाया गया है।
अरविन्द अजमेरा ने बताया कि सिद्ध चक्र महामंडल में सौधर्म इंद्र राजेन्द्र, रतन बाकलीवाल, मैना सुन्दरी विनय, नीतू कांटीवाल, कुबेर नायक महावीर, वर्धमान अजमेरा, मानक, भानु, दिनेश गोधा, ललित, लोकेश, लवलेश पाटनी ने अर्ध्य चढ़ाए। विधान 17 नवंबर तक चलेगा।