विभाग के पत्र से बड़ा खुलासा नगर निगम व जिंदल सॉ के मध्य हुए अनुबंध की शर्त की पालना के संबंध में स्वायत्त शासन विभाग के प्रमुख शासन सचिव की अध्यक्षता में 13 नवंबर 2024 को जयपुर में बैठक हुई। अनुबंध की शर्त संख्या 16 के अनुसार जिंदल को शहर में रामधाम के सामने ओवरब्रिज निर्माण को लेकर चर्चा हुई। मामले में जारी पत्र में मुख्य अभियंता अरूण व्यास ने बड़ा खुलासा किया है कि अनुबंध की शर्त संख्या 16 की अनुपालना मे अनुबंध के समय यानी 5 अक्टूबर 2011 के दिन ओवरब्रिज निर्माण की अनुमानित लागत में से शहर के तीन अंडरपास में भरने वाले पानी की निकासी, यातायात सुगम करने व अन्य मरम्मत करने वाले कार्य का वास्तविक व्यय निकालने के बाद शेष राशि का भुगतान मांगते हुए निगम को देने की बात कही है।
निगम ने मांगा था जवाब, नहीं मिला स्वायत्त शासन विभाग की ओर से जारी पत्र के बाद निगम ने जिंदल को पत्र लिखकर अंडरपास के रखरखाव पर पांच साल में किए खर्च का हिसाब मांगा था। लेकिन जिंदल ने अब तक नहीं दिया है। साथ ही शेष राशि की भी मांग की है। जबकि जिंदल के एडमिन हैड एसबी सिंहा ने 11 फरवरी को पत्रिका को बताया था कि पत्र का जवाब भेज दिया है। यह रास्ते में कहां अटक गया इसका किसी के पास जवाब नहीं है।
क्या माने निर्माण लागत, अधिकारी असमंजस जिंदल व नगर निगम के अधिकारी इस बात को लेकर असमंजस में है कि आखिर ओवरब्रिज के निर्माण की लागत क्या माने। वर्ष 2011 में हुए अनुबंध के दौरान ओवरब्रिज के निर्माण पर क्या लागत आएगी इसका उल्लेख नहीं किया। जबकि वर्ष-2017 में बनाई गई। डीपीआर में 30 करोड़ की लागत मानी थी। एनजीटी के आदेश पर तीन अंडरपास पर मात्र 2 से 3 करोड़ रुपए पांच साल में खर्च भी किए होंगे तो अब शेष राशि 27 से 28 करोड़ से ज्यादा नहीं रह जाती है।
बीएसआर से 100 करोड़ की राशि बनती ओवरब्रिज का निर्माण वर्तमान बीएसआर के अनुसार 100 करोड़ से अधिक राशि बनती है। लेकिन जिंदल से हिसाब मांगा है। वह आने पर ही खुलासा होगा की जिंदल ओवरब्रिज के निर्माण के लिए कितनी राशि मानता है। हालांकि जयपुर से आए पत्र में अनुबंध के समय अनुमानित लागत को आधार मानते हुए राशि के लिए लिखा है।
– हेमाराम चौधरी, आयुक्त नगर निगम