
घूसखोर पूर्व एईएन और लिपिक को चार-चार साल की सजा
विशिष्ट न्यायालय (भ्रष्टाचार निवारण मामलात) ने रिश्वत के बारह साल पुराने मामले में प्रदूषण नियंत्रण मंडल के पूर्व सहायक अभियंता (पर्यावरण) अनिल अग्रवाल और लिपिक शैलेन्द्र सुराणा को दोषी मानते हुए शनिवार को चार-चार साल की सजा सुनाई। बीस-बीस हजार रुपए जुर्माना भी अदा करने के आदेश दिए। प्रकरण के अनुसार 21 जून 2010 को भीलवाड़ा के ओमप्रकाश व्यास ने भीलवाड़ा एसीबी में शिकायत दी कि उसकी चुनाई पत्थर की खदान राजसमंद जिले के गारियावास में है।
माइनिंग लाइसेंस का अनुबंध 1 अप्रेल 2009 से है। उसने प्रथम एस्टाबलिस व वायु प्रदूषण प्रमाण पत्र के लिए राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण मंडल उदयपुर में फाइल लगाई। क्षेत्र राजसमंद क्षेत्र का होने से फाइल भीलवाड़ा भेज दी गई। व्यास ने क्षेत्रीय कार्यालय राजस्थान राज्य प्रदूषण नियंत्रण मंडल, भीलवाड़ा में सम्पर्क किया। वहां लिपिक ने सभी के लिए अलग-अलग रिश्वत की राशि मांगी। एसीबी के सत्यापन में शिकायत सही पाई गई। एसीबी ने जाल बिछाया। परिवादी को रिश्वत की राशि देकर प्रदूषण नियंत्रण कार्यालय भेजा। वहां रिश्वत लेते सहायक अभियंता अनिल अग्रवाल और लिपिक शैलेन्द्र सुराणा को गिरफ्तार कर लिया। एसीबी ने अग्रवाल की जेब से ढाई हजार व लिपिक सुराणा की जेब से 400 रुपए रिश्वत की राशि बरामद की। एसीबी ने दोनों को गिरफ्तार अदालत में चालान पेश किया। विशिष्ट लोक अभियोजक कृष्णकांत शर्मा ने अभियुक्तों के खिलाफ गवाह और दस्तावेज पेश कर आरोप सिद्ध किया। पूर्व सहायक अभियंता (पर्यावरण) अनिल अग्रवाल और लिपिक शैलेन्द्र सुराणाको दोषी मानते हुए शनिवार को चार-चार साल की सजा सुनाई। बीस-बीस हजार रुपए जुर्माना भी अदा करने के आदेश दिए।
Published on:
16 Oct 2022 12:02 pm
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