
Ceramic park in bhilwara
भीलवाड़ा।
मोड़ का निम्बाहेड़ा में प्रस्तावित सिरेमिक पार्क जमीन के अभाव में अधरझूल में है। इससे पांच हजार करोड़ का निवेश भी अटका है। यहां का कच्चा माल गुजरात के मोरवी जा रहा है। इससे यहां के छोटे-छोटे उद्योग भी संकट में हैं। हालांकि रीको ने करीब 500 बीघा जमीन को अपने नाम कराने के लिए मुख्यालय को प्रस्ताव भेजा है। जिसे अभी मंजूरी नहीं मिली है।
आसीन्द के लाछूड़ा निवासी एवं मुम्बई के उद्यमी राजेंद्र भालावत व बीसी भालावत ने मोड़ का निम्बाहेड़ा के पास जमीन के लिए आवेदन किया था। कलक्टर ने 11 अक्टूबर 2012 को उप शासन सचिव राजस्व विभाग को भेजा। पार्क के लिए मुख्यमंत्री के साथ रिसर्जेन्ट राजस्थान के तहत 600 करोड़ रुपए का एमओयू किया था लेकिन जमीन नहीं होने से मामला खटाई में पड़ गया।
यह जमीन किसे दी जाए, इसे लेकर रीको व सरकार के बीच फरवरी बैठक में तय हुआ कि पहले जमीन रीको को मिलेगी। इसके बाद भी सरकार ने अब तक जमीन रीको के नाम नहीं की।
यह है योजना
एम्पीरियल टैक्स इण्डस्ट्रीयल पार्क प्राइवेट लिमिटेड की मोड का निम्बाहेड़ा में करीब 500 यूनिट लगाने की योजना है। करीब पांच हजार करोड़ रुपए का निवेश होना है। 15 हजार लोगों को रोजगार मिलने की संभावना है। 200 यूनिट ग्राइडिंग, 150 टाइल्स यूनिट, 20 क्रोकरी तथा 20 यूनिट सैनेट्री वियर की लगाने की योजना है।
ट्रेनिंग सेन्टर भी खोला जाना है। सेन्ट्रल वर्कशॉप, कॉमन फेसिलिटी सेंटर, क्वालिटी कंट्रोल लैब एवं रिचर्स एंड डवलपमेंट सेन्टर भी खुलेगी। इसके बाद जिले से एक भी ट्रक क्वाट्र्ज फेल्सपार का गुजरात नहीं जाएगा। जिले से रॉ मेटेरियल मोरवी तथा वहां से चीन जा रहा है। वहां से टाइल्स बनकर फिर भारत आ रही है। प्रति वर्ष ढाई हजार करोड़ रुपए की टाइल्स भारत आ रही है।
प्रस्ताव मुख्यालय भेजा
मोड का निम्बाहेड़ा की जमीन रीको को मिले, इसका प्रस्ताव मुख्यालय भेजा है। आदेश मिलने पर जो भी डिमाण्ड होगी, वह राशि जमा कराने के बाद ही सिरेमिक पार्क के लिए जमीन का आवंटन किया जा सकेगा।
जेपी शर्मा,
क्षेत्रीय अधिकारी रीको
50 हजार श्रमिकों पर रोजगार का संकट
भीलवाड़ा. पंचायतीराज मंत्रायलिक कर्मचारी व मनरेगा संविदाकर्मियों की हड़ताल से नरेगा सहित संबंधित कार्यालयों में जनहित से जुड़े कई काम ठप पड़े हैं। करीब 50 हजार लोगों का रोजगार ठप हो गया। कर्मचारी संगठन के अध्यक्ष गोपाल वैष्णव ने बताया कि कई जगह प्रशासन ने आउट सोर्सिंग से कर्मी लगा मस्टररोल जारी किए पर उसका मूल्यांकन करने वाले जेईएन भी हड़ताल पर हैं। अधिशासी अभियन्ता महेन्द्र ओझा का कहना है कि हड़ताल से पहले जिले में करीब 80 हजार श्रमिक मनरेगा में काम कर रही थी। अब संख्या घटकर 50 हजार रह गई है।
Published on:
06 Jun 2018 02:59 pm
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