किसानों को नहीं मिल रही गिरदावरी और नकल, भू-प्रबंध विभाग नहीं दे रहा ध्यान
भीलवाड़ा. प्रदेश में भू-प्रबंध विभाग से लागू राजस्व गिरदावरी एप लंबे समय से कार्य नहीं कर रहा है। इसके चलते काश्तकार न गिरदावरी नकल ले पा रहे हैं और न ही एप से पटवारी नकल जनरेट कर पा रहे हैं। गिरदावरी एप के साथ धरा एप और खसरा डॉट आरबीएएएस डॉट इन व जन सूचना पोर्टल या ई-मित्र के माध्यम से 4-5 वर्षों से ऑनलाइन गिरदावरी नकल नहीं मिल पा रही है। इस समस्या को लेकर जिला प्रशासन ने भू-प्रबंध विभाग के भू-प्रबंध आयुक्त एवं डीआईएलआरएमपी के नोडल अधिकारी को कई पत्र लिख दिए।
गौरतलब है कि राजस्व अधिकारी गिरदावरी एप के स्थान पर हाल ही में नया किसान गिरदावरी मोबाइल एप चालू किया जा रहा है। इसमें वर्तमान गिरदावरी के प्रावधान के साथ राजस्व अधिकारी गिरदावरी एप पर दिनांक की गई गिरदवारी नकलें भी प्राप्त की जा सके, इसका प्रावधान करने की मांग भी कलक्टर ने पत्र के माध्यम से की है। ।
काश्तकार के साथ राजस्व कार्मिकों के पास भी गिरदावरी रिकार्ड रहना आवश्यक है, लेकिन ऑनलाइन होने के बाद से ऑफलाइन गिरदावरी रिकॉर्ड उनके पास है नहीं एवं ऑनलाइन गिरदावरी कार्य किया, उसकी नकल जनरेट हो नहीं रही है। ऐसा नहीं है कि यह समस्या केवल जिले की है, बल्कि पूरे प्रदेश के काश्तकार एवं पटवारी इस समस्या से लम्बे समय से जूझ रहे हैं, जिसकी जानकारी बार-बार उच्च अधिकारियों को देने के बावजूद सुधार नहीं हो रहा है।
ये आ रही हैं समस्याएं
एप नहीं चलने के कारण आदान-अनुदान सूचियां बनाने में विलंब हो रहा है। सूचियां बनाने में किसानों का बोया रकबा एवं खराबा का अंकन करना होता है। राजस्व अधिकारी एप नहीं चलने से किसानों को ऋण लेने तथा अन्य कार्य के लिए ऑनलाइन गिरदावरी नहीं मिल पा रही है। पटवारी को हाथ से गिरदावरी बनाने के लिए कहते हैं, जो डाटा ऑफलाइन उपलब्ध नहीं होने के कारण संभव नहीं है। पिछले काफी समय से ई-धरती तथा भू-नक्शा की साइट सही से नहीं चल रही है। इससे नामांतरण तथा दर्ज नामांतरण को लॉक करने में अनावश्यक समय लग रहा है।