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सुवाणा के लाल थे डॉ. अशोक पानगडिय़ा

मूल रूप से भीलवाड़ा के सुवाणा निवासी प्रसिद्ध न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अशोक पानगडिय़ा का जीवन भर अपने गांव और भीलवाड़ा के लोगों के प्रति स्नेह रहा। जयपुर में उनके पास कोई भीलवाड़ा का मरीज उपचार के लिए पहुंचता तो उसे प्राथमिकता से देखते थे।

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Dr. Ashok Panagariya was the son of Suwana

Dr. Ashok Panagariya was the son of Suwana


भीलवाड़ा । मूल रूप से भीलवाड़ा के सुवाणा निवासी प्रसिद्ध न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. अशोक पानगडिय़ा का जीवन भर अपने गांव और भीलवाड़ा के लोगों के प्रति स्नेह रहा। उन्होंने अपने गांव में पिता की स्मृति में कई जनोपयोगी कार्य करवाए, वहीं जयपुर में उनके पास कोई भीलवाड़ा का मरीज उपचार के लिए पहुंचता तो उसे प्राथमिकता से देखते थे। उनके निधन की सूचना से सुवाणा और भीलवाड़ा में शोक छा गया। पिछले कई दिनों से यहां के उनके स्वस्थ होने के लिए पूजा अर्चना और दुआ कर रहे थे।

डॉ. पानगडिय़ा के भाई अरविंद पनगडिय़ा राष्ट्रीय नीति आयोग के उपाध्यक्ष भी रहे हैं। सुवाणा गांव में भी उनका पुश्तैनी मकान है। दोनों भाइयों ने सुवाणा में अपने पिता बालूलाल पानगडिय़ा की स्मृति में पुस्तकालय एवं वाचनालय बनवाया है। इसके अलावा भी उन्होंने यहां कई कार्य करवाए। जब अरविन्द पानगडिय़ा नीति आयोग के उपाध्यक्ष थे, तब उन्होंने सुवाणा का दौरा किया था।

गांव से जुड़ाव बना रहा
चिकित्सकीय कार्य में काफी व्यस्त रहने के बावजूद पानगडि़या परिवार ने अपने गांव से नाता नहीं तोड़ा था। वे अक्सर परिजनों के साथ सुवाणा आते थे। डॉ. पानगडिय़ा के लगातार सम्पर्क में रहे सुवाणा जैन समाज के उपाध्यक्ष प्रकाश चपलोत ने बताया कि डॉ. पानगडिय़ा अपने परिजनों और मित्रों के साथ अंतिम बार सितंबर २०१७ में सुवाणा आए थे। इस दौरान उन्होने जैन स्थानक में हॉल के निर्माण के लिए १.२१ लाख रुपए, श्री मातेश्वरी गो सेवा समिति सुवाणा की गौशाला में चारे के लिए ५१ हजार रुपए दिए थे। गांव के इंजीनीयर भैरू लाल जाट ने बताया कि डॉ. पानगडिया के जयपुर स्थित निवास पर सुवाणा ही नही बल्कि भीलवाड़ा जिले का कोई भी मरीज उपचार के लिए जाता था तो वे उसका प्राथमिकता से उपचार करते थे। कई गरीब मरीजों को निशुल्क दवा भी उपलब्ध कराते थे।

सुवाणा के पुस्तकालय अधिकारी देवी लाल चौधरी ने बताया कि डॉ. पानगडिया अपने भाई प्रो.अरविन्द पानगडिय़ा के साथ वर्ष 2010 में सुवाणा आए थे। उन्होंने गांव के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में स्मार्ट क्लास बनाने के लिए एक लाख रुपए दिए। उन्होंने पंचायत समिति ों अपने पिता बालू लाल पानगडिय़ा की स् ाृति में पुस्तकालय और वाचनालय कक्ष की नींव रखी थी। नवनिर्मित पुस्तकालय भवन का लोकार्पण 15 अगस्त 2014 को हुआ था। डॉ. पानगडिय़ा ने वर्ष 2007 को अपने माता-पिता की स्मृति में सुवाणा गांव में बालाजी, शिव मन्दिर एवं सिंदरी के बालाजी मन्दिर का जीर्णोद्वार कार्य करवाया था।

उनके साथ एमबीबीएस करने वाले भीलवाड़ा के चिकित्सक डा.एस.के.चतुर का कहना है कि डा. पानगडि़या जब भी भीलवाड़ा आते तो उनसे मिले बिना वापिस जयपुर नहीं जाते थे। सिन्दरी के बालाजी में उनकी खूब आस्था था। मंदिर निर्माण में भी काफी सहयोग किया। डॉ. चतुर का कहना है कि एक माह पहले ही डॉ. पानगडिय़ा से फोन पर बातचीत हुई थी, तब उन्होंने बताया था कि वे अब मरीज नहीं देख रहे है। केवल वीडियों कांफे्रसिंग के माध्यम से ही परामर्श दे रहे थे।


डा.पानगडिय़ा के निधन पर नगर परिषद सभापति राकेश पाठक ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि उनके निधन से चिकित्सा जगत को अपूर्णीय क्षति हुई है। उन्होंने हमेशा पीडि़त मानवता के लिए समर्पित भावना से कार्य किया। शांति भवन संघ, शांति जैन महिला मंडल, श्री महावीर युवक मंडल सेवा संस्थान, चंदनबाला महिला मंडल अंबेश, ऑल इंडिया स्थानकवासी जैन कांफ्रेंस राष्ट्रीय व प्रांतीय महिला शाखा, अखिल भारतीय जैन संस्कार मंच, सद्भावना सेवा ट्रस्ट, शीतल यश महिला मंडल, भारतीय जैन श्वेतांबर सोशल ग्रुप रॉयल के पदाधिकारियों ने भी पानगडि़या के निधन पर शोक जताया।