देसी घी खाना भी खतरे से खाली नहीं है। शहरी बाजार व जिले में अलग-अलग भाव से देसी घी बिक रहा है
भीलवाड़ा।
देसी घी खाना भी खतरे से खाली नहीं है। शहरी बाजार व जिले में अलग-अलग भाव से देसी घी बिक रहा है। भाव भी 300 से 550 रुपए प्रति किलो। विक्रेता व दुकानदार शुद्ध घी होने की गारंटी दे रहे हैं। कई ब्राण्ड ऐसे हैं जो किसी भी तापमान में जमने का नाम नहीं लेते यानी घी पिघला ही रहता है।
जिले में सरस के नाम पर मिलावटी घी बेचा जा रहा है। इसकी सूचना एक माह से भीलवाड़ा जिला दुग्ध उत्पादक सहकारी संघ को मिल रही है लेकिन वे पकडऩे में नाकाम रहे है। अब डेयरी ने कहा है कि कहीं भी सस्ता या मिलावटी घी मिले तो वे तुरन्त उसे बताएं।
डेयरी प्रबन्धकों का कहना है चित्तौड़ के गंगरार में सरस के नाम से मिलावटी घी के खुलासे के बाद जिले में सरस मिलावटी घी की शिकायते आने लगी है। हालांकि किसी ने घी की जांच नहीं करवाई तथा न ही जिले में डेयरी ने पकड़ा। प्रबन्धकों का कहना है एक लीटर घी 420 तथा 15 किलो का टिन 6450 रुपए में आता है जबकि गंगापुर, रायपुर , करेड़ा, आसीन्द क्षेत्र में यह टिन 5000 में बेचा जा रहा है। लोगों को संदेह है कि सरस का मिलावटी घी तो नहीं है। डेयरी में शिकायत भी आई है।
डेयरी ने जांच के लिए बनाया प्रभारी
मिलावटी घी की शिकायत कोई भी भीलवाड़ा डेयरी में कर सकता है। विपणन प्रभारी एके गर्ग को जांच प्रभारी बनाया। गर्ग ने संदेह जताया कि कुछ लोग सरस के खाली टिन को मिलावटी घी बेचने के काम ? ले रहे है। सरस के हर टिन पर मार्का अलग होते है। जो डेयरी प्रबन्धक को पता होती है। अफसरों का कहना है,डेयरी में लैब है पर जांच केवल डेयरी उत्पादित घी व अन्य उत्पाद की होती है। ग्राहक चाहे तो निशुल्क जांच करा सकता है। अधिकृत रूप से खाद्य इंस्पेक्टर ही जांच करता है। यहां एक इंस्पेक्टर होने से वे घी की जांच नहीं करते।
घातक है मिलावट
&स्वस्थ इंसान के लिए शुद्ध घी हानिकारक नहीं होता पर मिलावटी घी प्राणघातक है। इससे शरीर में कई तरह के अम्ल पैदा होते हैं। मोटापा, हाई ब्लड प्रेशर , हार्ट अटैक सहित कई गंभीर बीमारी हो सकती है।
डॉ. मनीष चौधरी, फिजिशियन