शहर के सभी प्रमुख मंदिरों में होगा गुरु का पूजन
आषाढ़ शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि के दिन मनाई जाने वाली गुरू पूर्णिमा 10 जुलाई को इंद्र योग और पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के शुभ योग में मनाई जाएगी।
पंडित अशोक व्यास ने बताया कि गुरू पूर्णिमा के दिन इंद्र योग पूर्वाषाढ़ा नक्षत्र के साथ गुरुवार होने से इसका महत्व और अधिक बढ़ जाएगा। 9 जुलाई की रात 1:36 बजे पूर्णिमा तिथि आरंभ होगी, जो 10 जुलाई को रात 2:06 बजे समाप्त होगी। इस दिन व्यासपीठ पूजा एवं अपने गुरु भगवान का पूजन-अर्चन करने से गुरु की विशेष कृपा प्राप्ति होगी। गुरू पूर्णिमा के दिन शहर और ग्रामीण क्षेत्र के आश्रमों में श्रद्धालु पहुंचेंगे और अपने गुरुजन से आशीर्वाद लेंगे, इसके अलावा शहर के मंदिरों में भी भगवान की प्रतिमाओं का विशेष शृंगार किया जाएगा। गुरू पूर्णिमा पर गोवर्धन परिक्रमा का भी विशेष महत्व है।
सावन माह की शुरुआत 11 से
जुलाई माह में देवशयनी एकादशी के साथ-साथ चातुर्मास की शुरुआत भी हो जाएगी। कई संत देवशयनी एकादशी तो कई पूर्णिमा से चातुर्मास की शुरुआत करेंगे। इस दौरान चार माह तक एक ही स्थान पर रहकर साधना करेंगे। शहर के जैन मंदिर में जैन संत व स्थानक में साध्वियों का वर्षावास होगा। पवित्र सावन माह की शुरुआत 11 जुलाई से होगी। एक माह तक श्रद्धालु भगवान भोलेनाथ की आराधना करेंगे। इस दौरान शहर के हरणी महादेव व अन्य प्रमुख शिवालयों में विभिन्न अनुष्ठान होंगे। सावन माह में अनेक संगठनों की ओर से कांवड़ यात्राएं निकाली जाएगी और एक माह तक शहर शिवमय नजर आएगा।
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