
विकास शुल्क के सौ करोड़ रूपए बाकी , नहीं मिली फूटी कौड़ी
भीलवाड़ा।
शहर में भूखण्डों की बिक्री के बदले नगर विकास न्यास से मिलने वाला १५ प्रतिशत विकास शुल्क पिछले आठ साल से नगर परिषद को नहीं मिला है। यह राशि बढ़कर अब १०० करोड़ रुपए तक पहुंच गई है। न्यास से परिषद को यह राशि यदि मिल जाती है, परिषद अपनी इच्छा से शहर में विकास के कई कार्य करवा सकती है। परिषद वर्ष २०१३ के बाद से इस राशि का न्यास से तकाजा कर रही है। इस बारे में उसे कई बार पत्र भी लिखा, लेकिन न्यास का कहना है कि वह इस राशि के बदले शहरी क्षेत्र में करोड़ों रुपए के विकास कार्य करवा चुका है।
नगर विकास न्यास शहरी क्षेत्र में जो भूखंड बेचती है, उसमें से 15 फीसदी राशि विकास शुल्क के रूप में नगर परिषद को देना जरूरी है। परिषद इस राशि से उस क्षेत्र में विकास कार्य करवाती है। पिछले आठ साल से यह राशि नहीं मिलने से परिषद और न्यास में कई बार विवाद की स्थिति बनी है। शहरी क्षेत्र में विकास को लेकर दोनों संस्थाओं में तालमेल का अभाव है। दोनों एक दूसरे की अनदेखी कर अपने-अपने हिसाब से निर्माण और विकास कार्य करवा रहे है, इस कारण करोड़ों रुपए खर्च होने के बाद भी लोगों को सुविधाओं का समुचित लाभ नहीं मिल सका
लिख चुके है कई पत्र
नगर परिषद अधिकारियों का कहना है कि विकास शुल्क के रूप में भूखण्ड बिक्री की १५ फीसदी राशि जमा कराने के लिए नगर विकास न्यास को कई बार पत्र भेजा गया है। इस सम्बन्ध में न्यास प्रशासक जिला कलक्टर से भी मिल चुके है। स्थानीय विधायक ने भी हस्तक्षेप किया, लेकिन अब तक राशि नहीं मिली है। इस मामले में न्यास का कहना है कि उसने परिषद की सीमा में करोड़ों रुपए के विकास कार्य करवा दिए है। ऐसे में यह राशि ज्यादा बकाया नहीं है। लेकिन परिषद का कहना है कि वह भी न्यास के क्षेत्र में नाली निर्माण, सफाई, सड़क व अन्य कार्य करता है।
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दोनों को चाहिए पॉश कॉलोनी
नगर विकास न्यास ने जिन कॉलोनियों को विकसित कर दिया है, नगर परिषद उन कॉलोनियों को उसे सौंपने की मांग कर रहा है, जिससे इन कॉलोनियों में लीज और अन्य तरह का राजस्व उसे मिल सकें। इन कॉलोनियों में आरसी व्यास नगर , विजयसिंह पथिकनगर, बापू नगर प्रमुख रूप से है। अभी इन कॉलोनियों की लीज व अन्य राजस्व यूआईटी के पास जाता है।
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स्पष्ट नहीं सीमा ज्ञान
नगर विकास एवं नगर परिषद का क्षेत्र कौन-कौन सा है । इस बारे में दोनों विभागों को स्पष्ट जानकारी नहीं है। इसके चलते कई लोग दोनों कार्यालयों के चक्कर लगाने को मजबूर े है। दादाबाड़ी सहित कुछ जगह ऐसी है, जहां दोनों विभाग विकास कार्य करवा रही है । शहर में स्टेट ग्रांट के पट्टों को लेकर लोगों परेशान है। पट्टे के लिए नगर परिषद में आवेदन कर रखा है, लेकिन फाइलें न्यास से संबंधित है।
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सौ करोड़ रुपए की राशि बकाया
नगर विकास न्यास ने वर्ष २०१३ के बाद से एक रुपया नहीं दिया है। उस समय भी ६३ करोड़ रुपए बकाया चल रहे थे। यह राशि बढ़कर अब १०० करोड़ हो गई है। इसके लिए कुछ दिन पहले ही न्यास को पत्र लिखा था। यह राशि मिलती है तो शहर में बड़े विकास कार्य होंगे।
राकेश पाठक, सभापति, नगर परिषद
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परिषद के साथ तालमेल से करेंगे काम
नगर विकास न्यास शहर की कॉलोनियों के विकास में पूरा योगदान दे रही है। दोनों महकमों में किसी प्रकार का विवाद नह हो एवं आपसी तालमेल के साथ विकास कार्य हो सके, इसके लिए सभापति राकेश पाठक के साथ विभागीय स्तर पर बैठक हुई। इसमें तय किया गया कि दोनों ही विभाग अपनी सीमा, जमीन, अतिक्रमण व बकाया को लेकर एक नई गाइड लाइन बनाएंगे और उसी के अनुरूप आपसी समन्वय से काम करेंगे। नगर परिषद क्षेत्र में विकास कार्य एवं बकाया राशि को लेकर भी न्यास ने सभापति के समक्ष अपनी स्थिति स्पष्ट कर दी है।
महिपाल सिंह, सचिव, नगर विकास न्यास
Published on:
07 Jul 2021 08:37 am
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