
भीलवाड़ा. भीलवाड़ा कलक्टर नमित मेहता ने स्कूली बच्चों के शनिवार को 'नो बेग डे' को फन डे के रूप में बदलने के लिए अनूठा नवाचार किया है। संभवत: प्रदेश में यह पहला ऐसा मौका होगा, जब राजकीय स्कूलों में बच्चे विषय के रूप में 'शह' और 'मात' का खेल खेलेंगे। इसके लिए शतरंज की बिसात बिछेगी और राजा, रानी, हाथी, घोड़े व प्यादे के जरिए चालें चली जाएगी।
स्कूली किताबों के बोझ से दबे बच्चों के लिए भले ही राज्य सरकार ने शनिवार को 'नो बेग डे' घोषित कर रखा है, लेकिन पढ़ाई का बोझा फिर भी रहता है। इस बोझ को कम करने एवं शनिवार का दिन फन डे के रूप में तब्दील करने के लिए कलक्टर मेहता ने शहरी क्षेत्र के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों के राजकीय स्कूलों में चतुरंग यानी शतरंज को कक्षा विषय के रूप में शामिल करने की बड़ी पहल की है।
जिले में कुल नौ ब्लॉक है। बीस-बीस स्कूल को प्रथम चरण के लिए चिन्हित किया है। कुल 181 स्कूलों का चयन हुआ है। शतरंज कैसे खेला जाता है और इसके क्या नियम होते हैं, इसका पूरा संग्रह तैयार किया गया है। प्रत्येक स्कूल के बच्चों के लिए एक शिक्षक को ही रिसोर्स पर्सन नियुक्त किया है। रिसोर्स पर्सन को शतरंज की बारीकी सिखाई गई हैं। भीलवाड़ा शतरंज संघ अध्यक्ष एवं जिला रोजगार अधिकारी मुकेश गुर्जर व उनकी टीम ने रिसोर्स पर्सन को प्रशिक्षण देने का कार्य पूर्ण कर लिया है।
शतरंज का खेल बौद्धिक एवं मानसिक रूप से बच्चों को और मजबूत बनाएगा। मोबाइल के बढ़ते चलन व किताब के बोझ के बीच शतरंज जैसी स्वस्थ्य खेल स्पर्द्धा बच्चों के लिए अधिक फायदेमंद साबित होगी। ग्रामीण अंचल की स्कूलों को भी शतरंज यानी चतुरंग खेल से जोड़ा जा रहा है। निश्चित ही स्कूली बच्चे विषय के रूप में चतुरंग को पसंद करेंगे। - नमित मेहता, जिला कलक्टर, भीलवाड़ा
Updated on:
17 Aug 2024 04:40 pm
Published on:
17 Aug 2024 04:09 pm
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