भीलवाड़ा. राजस्थान में अभी भी कई उद्योग एवं व्यापारिक घराने है जो पूर्वतः भागीदारी, प्रोपराईटर फर्म या एलएलपी के रुप में काम कर रहे हैं जबकि आर्थिक उन्नति के लिए उन्हें अब कम्पनी के रुप में काम करना चाहिए ताकि आयकर भी कम देना पडेगा।
भीलवाड़ा. राजस्थान में अभी भी कई उद्योग एवं व्यापारिक घराने है जो पूर्वतः भागीदारी, प्रोपराईटर फर्म या एलएलपी के रुप में काम कर रहे हैं जबकि आर्थिक उन्नति के लिए उन्हें अब कम्पनी के रुप में काम करना चाहिए ताकि आयकर भी कम देना पडेगा।
वर्तमान में भागीदारी, प्रोपराईटर में अधिकतम 30 प्रतिशत आयकर दर है जो कि सरचार्ज को मिलाकर 35 प्रतिशत होता है। कम्पनी को 22 प्रतिशत अथवा सरचार्ज मिलाकर 25.62 प्रतिशत आयकर ही देना होता है। व्यापार को कम्पनी में बदलने के लिए कोई अडचन नहीं है। राजस्थान सरकार ने तो भागीदारी, प्रोपराइटर से कम्पनी में स्थायी सम्पति के हस्तान्तरण पर स्टाम्प ड्यूटी मात्र आधा प्रतिशत कर रखी है। यह बात शनिवार को मेवाड चैम्बर की ओर से जीएसटी एवं आयकर में नए परिवर्तन विषय पर कार्यशाला में रोहित अग्रवाल ने कही।
प्रशान्त रायजादा ने बताया कि 1 जनवरी 2024 से जीएसटीआर-3बी में परिवर्तन किए जा रहे हैं। इसके तहत करदाता को पिछले 5 वर्ष की इनपुट टेक्स क्रेडिट के बारे में जानकारी देनी होगी। मेवाड़ चैम्बर के वरिष्ठ उपाध्यक्ष डॉ आरसी लोढ़ा, जेके बागडोदिया ने स्वागत किया। संचालन महासचिव आरके जैन ने किया।