11 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

अफीम में किसान नहीं, तस्कर कर रहे मोटी कमाई

bhilwara m afim ki kheti अफीम की खेती के लिए भीलवाड़ा अफीम संभाग के बिजौलियां, कोटड़ी, मांडलगढ़ व बिजौलियां के साथ ही बेगूं व रावतभाटा तहसील क्षेत्र दुनिया भर में जाना जाता है। इन दिनों यहां खेतों में अफीम के डोडो पर चीरे लग रहे हैं।

2 min read
Google source verification
अफीम की खेती ,अफीम की खेती

अफीम की खेती ,अफीम की खेती

अफीम की खेती के लिए भीलवाड़ा अफीम संभाग के बिजौलियां, कोटड़ी, मांडलगढ़ व बिजौलियां के साथ ही बेगूं व रावतभाटा तहसील क्षेत्र दुनिया भर में जाना जाता है। इन दिनों यहां खेतों में अफीम के डोडो पर चीरे लग रहे हैं।

इन्ही गांवों व इनके रास्ते पर तस्करों की नजरें लगी है। पुलिस ने भी सुरक्षा जाल बिछा रखा है। इसके विपरीत गांवों के किसानों का दर्द है कि कड़ी मेहनत के बावजूद सरकार उन्हें कमाई नहीं दे रही है। जबकि यही काला सोना यानी अफीम चोरी छिपे दो लाख रुपए प्रति किलो तक बिक रही है। मेहनत बढ़ी और आय घटी opium smugglers

खर्च 50 हजार रुपए

किसान बताते हैं कि 10 आरी के पट्टे में अफीम की उपज तैयार करने में कुल खर्च 50 हजार रुपए आता है। इसके एवज में काश्तकार को लगभग 40-50 हजार रुपए की कमाई हो पाती है। सरकार काश्तकारों को अच्छी किस्म की अफीम और अच्छी औसत देने पर प्रति किलो अफीम का 1000 से 2500 रुपए प्रतिकिलो तक ही देती है। ऐसे में किसान को इससे 12 से 15 हजार रुपए की आय होती है। इसके साथ ही पोस्त दानों से किसानों को लगभग 50 हजार रुपए तक की आमदनी हो जाती है।

खर्च लगातार बढ़ रहा
अफीम की चिराई, लुवाई, निराई, गुड़ाई, मजदूरी, दवा और बीज पर लगभग 50 हजार रुपए खर्च हो जाते हैं। लगातार बढ़ रही मजदूरी के कारण खर्च भी बढ़ रहा है। इसके साथ ही कई बार पानी की कमी पर टैंकर से पिलाई करनी पड़ती है। इस पर भी लगभग 2 हजार रुपए तक खर्च आता है। इससे किसानों को 8 से 10 हजार रुपए तक घाटा उठाना पड़ रहा है।

पट्टे का दायरा घटने से बढ़ा संकट
पूर्व में सरकार 125 रुपए किलो के हिसाब से डोडा-चूरा खरीदती थी। इससे किसानों को 12 से 15 हजार रुपए मिलते थे, जिससे उनका खर्च निकल जाता था। पहले अफीम की खेती के पट्टे भी ज्यादा आरी के होने के कारण किसानों को कुछ मुनाफा हो जाता था। लेकिन, पिछले वर्ष से पट्टे भी 10 आरी के कर देने से किसानों का नुकसान बढ़ गया है।

बाजार में दो लाख तक दाम

सरकार काश्तकारों को अच्छी किस्म की अफीम और अच्छी औसत देने पर प्रति किलो अफीम का 1000 से 2500 रुपए तक भुगतान करती है। अंतरराष्ट्रीय बाजार में अफीम का भाव एक से दो लाख रुपए किलो है। यही वजह है कि ज्यादा भाव के चलते अफीम तस्करों तक पहुंच जाती है।

छह हजार से ज्यादा पट्टे

जिले में छह हजार अफीम पट्टे हैं। इनमें चिराई व सीपीएस पद्धति के अलग-अलग पट्टे हैं। पिछले दो-तीन साल में अफीम पट्टों की संख्या में इजाफा तो हुआ है। लेकिन, रकबा घट गया है।

केंद्र बढ़ाए अफीम के दाम
अफीम की खेती नाम के लिए रह गई है। मौसम परिवर्तन से औसत बिगड़ता है। नहीं बैठ पाती है औसत । लागत ही नहीं निकल पा रही है। सरकार अफीम के भाव पांच हजार रुपए प्रति किलो करे तो कुछ राहत मिले।
बद्रीलाल तेली, अध्यक्ष, अफीम किसान संघर्ष समिति, राजस्थान