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जिला अस्पताल के एचआईवी मरीजों को डायलिसिस के लिए जाना पड़ रहा है बाहर, पहले लाइलाज एचआईवी ने घेरा, अब अस्पताल ने मुंह मोड़ा

सरकार जहां लाइलाज बीमारी एचआईवी एड्स के मरीजों को लेकर चिंतित है

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Patients of HIV dialysis in bhilwara

Patients of HIV dialysis in bhilwara

भीलवाड़ा।

सरकार जहां लाइलाज बीमारी एचआईवी एड्स के मरीजों को लेकर चिंतित है और इस बीमारी के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही है, वहीं दूसरी ओर प्रशासनिक लापरवाही के चलते महात्मा गांधी अस्पताल के एचआईवी रोगियों को किडनी की बीमारी से पीडि़त होने पर डायलिसिस के लिए जिले से बाहर जाना पड़ रहा है। अस्पताल में एचआईवी से पीडि़त मरीजों की डायलिसिस के लिए अब तक अलग से सुविधा नहीं हो पाई।

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सूत्रों की मानें तो अस्पताल के एआरटी सेन्टर में आने वाले मरीजों में से कुछ किडनी रोग से पीडि़त है। उन्हें परामर्श व दवा तो जिला अस्पताल से मिल जाती है, लेकिन डायलिसिस के लिए जयपुर, अहमदाबाद व अन्य स्थानों पर जाना पड़ता है। यहां भी निजी अस्पतालों में यह सुविधा होने से उन्हें इसका ज्यादा दाम देना पड़ता है।

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हालांकि डायलिसिस यूनिट जब शुरू हुई, तब एचआईवी पीडि़त नहीं आ रहे थे, लेकिन अब एेसे मरीज आने लगे है। इसके बावजूद इन मरीजों की सुविधा के लिए अस्पताल में कोई कदम नहीं उठाए जा रहे। जब यूनिट शुरू हुई, तब दो मशीनें लगाई गई थी। मरीजों की संख्या बढऩे के साथ चार मशीनें और लगा दी गई।

यह सब मशीनें विधायक व हिन्दुस्तान जिंक के सहयोग से लगाई गई थी। कुछ माह पहले इसे पीपीपी मोड पर देते समय सरकार की ओर से भी दो मशीनें और उपलब्ध कराई गई। वर्तमान में आठ मशीनें हो गई फिर भी एचआईवी मरीजों की सुविधा के लिए कदम नहीं उठाया गया।


करने को तैयार है डायलिसिस
अस्पताल प्रशासन यदि अलग यूनिट स्थापित कर जगह की व्यवस्था करें तो हम एचआईवी मरीजों की डायलिसिसि की व्यवस्था करने को तैयार हैं। एचआईवी पॉजीटिव मरीजों की डायलिसिस के लिए यूनिट ही पूरी अलग चाहिए।
अमित विलियम्स, प्रतिनिधि सोनी हॉस्पिटल जयपुर


पूरी यूनिट ही सेपरेट चाहिए
एचआईवी मरीजों की डायलिसिस के लिए मशीन सेपरेट होना आवश्यक है। साथ ही आइसोलेशन वार्ड व आरओ का सेपरेट कनेक्शन होना भी जरूरी है। डायलिसिस करने वालों के लिए सुरक्षा किट भी चाहिए। एेसे मरीजों की डायलिसिस में सुरक्षा का ध्यान भी काफी रखना पड़ता है और टेक्नीशियन भी अलग चाहिए।
डॉ. देवकिशन सरगरा, चिकित्साधिकारी, डायलिसिस यूनिट


कर रहे है व्यवस्था
पिछले तीन सालों में आवश्यकता ही महसूस नहीं हुई। अब एचआईवी मरीज डायलिसिस के लिए आने लगे है तो इस सबंधमें यूनिट इंचार्ज से बात की गई है। एमओयू वाली कम्पनी सोनी
हॉस्पिटल जयपुर के प्रतिनिधियों ने भी एक दो दिन में इस बारे में जवाब देने को कहा है।
डॉ. एसपी आगीवाल, प्रमुख चिकित्साधिकारी, एमजीएच