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रोम हर्षण और सनकादि ऋषियों के मिलन प्रसंग

हरिशेवा उदासीन आश्रम सनातन मंदिर में श्री पुरुषोत्तम कथा

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Rome Harshan and Sankadi Rishis meet in bhilwara

Rome Harshan and Sankadi Rishis meet in bhilwara

भीलवाड़ा।
हरिशेवा उदासीन आश्रम सनातन मंदिर में श्री पुरुषोत्तम कथा के षष्टम दिवसीय कथा में बुधवार को रोम हर्षण और सनकादि ऋषियों के मिलन प्रसंग पर प्रकाश डाला। योगेश्वरानंद ने वैदिक पंच देवों की उपासना के नियमों का उल्लेख किया। शिव, शक्ति, गणेश, विष्णु और सूर्य के उपासक अपने उपासियों के चिन्हों को धारण करते हैं। तदनुसार सूत वैष्णव वेशभूषा को अपनाते हुए सदा हरि शरणम इस मंत्र को जपते रहते हैं। सनकादि ऋषि भी इस मंत्र के अनुष्ठान से सदा ही पांच वर्ष के बालक बने रहते हैं। उन्होंने बताया कि शिष्य के उत्कर्ष से गुरु का उत्कर्ष और पुत्र के उत्कर्ष से पिता का सहज अनुमान होता है। उन्होंने नारद नारायण संवाद की भूमिका और भगवान नर नारायण की स्तुति प्रस्तुत की है। क्रीड़ा भारती के प्रांतीय उपाध्यक्ष मदन माली व प्रांत सह सचिव महावीर टाक ने कथा व व्यासपीठ का पूजन अर्चन किया।
सांयकालीन सत्र में श्रीमद् भागवत कथा में श्री कृष्ण का हस्तिनापुर से द्वारिका प्रस्थान, परीक्षित का जन्म, विदुर की तीर्थ यात्रा, पांडवों का हिमालय की ओर प्रस्थान, परीक्षित द्वारा कल ग्रह, श्रृंगी ऋषि के द्वार परीक्षित को श्राप, परीक्षित का गंगा तट पर आमरण उपवेशन, ऋषियों का आगमन तथा सुखदेव के परीक्षित के साथ संवाद का प्रसंग प्रस्तुत किया गया है। विदुर ने तीर्थ यात्रा कर हस्तिनापुर आगमन और धृतराष्ट्र के साथ वार्तालाप के प्रसंग में यह तथ्य उजागर किया गया है कि संसार में अशांत जीव अपने समीप समपस्थित मृत्यु का अनुमान नहीं लगा पाता तो उसे किसी श्रेष्ठ व्यक्ति से परामर्श प्राप्त कर अपने उत्तर जीवन को सुधारने के लिए गृह त्याग कर किसी एकांत स्थान में भागवत उपासना प्रारंभ कर देनी चाहिए। महंत हंसराम ने बताया कि प्रतिदिन बरसाने की रासलीला मंडल के कलाकारों ने वृंदावन सरकार राधा रानी के अलग स्वरूपों में झांकियों के दर्शन हो रहे हैं। शिव गारू, जगदीश चन्नाल, शिवप्रकाश चन्नाल, महावीर चन्नाल व भाजपा जिलाध्यक्ष लादू लाल तेली ने व्यासपीठ का पूजन कर हंसराम उदासीन का आशीर्वाद प्राप्त किया।