यहां सोने व चांदी के आभूषणों के साथ ही वह भण्डार में नोटों की बारिश कर जाते है। यहां का भण्डार खुलता है तो कई चरणों में नोटों की गणना होती है। अंतिम गणना मशीन के जरिए की जाती है। एक मोटे अनुमान के अनुसार यहां साल में भंडार करीब दस बार खुलता है। इस दौरान सौ करोड़ से अधिक की नगदी व लाखों के ही जेवर मिलते है। इतना ही नहीं ऑनलाइन भी पैसा बरसता है।
गत वर्ष बजट के आंकड़ों के अनुसार सांवलिया जी मंदिर का वार्षिक बजट करीब173 करोड़ रुपए है। इसमेंं भंडार से प्राप्त आय 86 करोड़ रुपए से अधिक है। सांवलिया जी मंदिर का जेठ माह चतुर्दशी के अवसर पर खोले गए भंडार से प्रथम गणना में 5 करोड 98 लाख 34 हजार रुपए की राशि निकली है। नोटों की गणना के अवसर पर मंदिर मंडल के सीईओ अभिषेक गोयल,तहसीलदार गुणवंत लाल माली, मंदिर मंडल अध्यक्ष भैरूलाल गुर्जर, अशोक कुमार शर्मा, ममतेश शर्मा, संजय मंडोवरा, भेरूलाल सोनी व प्रशासनिक अधिकारी नंदकिशोर टेलर आदि मौजूद थे।
इधर, भादसोड़ा कस्बा स्थित सांवलिया जी मंदिर के भंडार से 97 हजार रुपए की राशि ऑनलाइन 3600 रुपए प्राप्त हुए है। प्राकट्य स्थल मंदिर में 32 लाख 85 हजार 375 भंडार से नगद, ऑनलाइन 7 लाख 84 हजार 903 रुपए व कुल 40लाख 76 हजार 528 प्राप्त हुए हैं। अनगढ़ बावजी के चतुर्दशी के अवसर पर खोले गए भंडार से 3 लाख 57 हजार 503 की राशि निकली है।