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शरीर में फैल रहा था सांप का खतरनाक जहर, राजस्थान के इस जिला अस्पताल में 15 मिनट तक नहीं मिली स्ट्रेचर, पैदल चलकर वार्ड में पहुंचा रोगी

सर्पदंश के एक गंभीर रोगी को स्टे्रचर नहीं मिल पाया, इसके चलते मरीज को परिजनों को पैदल चला कर ही वार्ड तक ले जाना पड़ा

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Stretcher not found for 15 minutes in bhilwara

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भीलवाड़ा।

महात्मा गांधी चिकित्सालय में स्ट्रेचर के अभाव में मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिलने के कई मामले सामने आ गए, लेकिन व्यवस्थाओं में कोई सुधार नहीं हुआ। अस्पताल में गुरुवार को भी सर्पदंश के एक गंभीर रोगी को स्टे्रचर नहीं मिल पाया। इसके चलते मरीज को परिजनों को पैदल चला कर ही वार्ड तक ले जाना पड़ा।

अस्पताल प्रशासन की ओर से मरीजों को लाने ले जाने के लिए स्ट्रेचर के साथ ही ट्रॉलीमैन की भी व्यवस्था कर रखी है लेकिन आउटडोर में जरूरत पडऩे पर न स्ट्रेचर, मिलता और न ही ट्रॉलीमैन। एेसा ही नजारा गुरुवार सुबह देखने को मिला। कोटड़ी क्षेत्र के रीठ ग्राम निवासी कान्हा पुत्र गोपाललाल भील (२७) को सांप ने काट लिया था। हालत गंभीर होने पर उसे कोटड़ी अस्पताल से महात्मा गांधी चिकित्सालय रैफर कर दिया। यहां लाने पर पहले तो उसे मेडिकल आउटडोर में पर्ची व भर्ती फार्म के लिए लाइन में लगना पड़़ा। बाद में चिकित्सक को दिखाया तो उन्होंने तत्काल वार्ड में ले जाने की बात कही। परिजन उसे ले जाने के लिए १५ मिनट तक स्टे्रचर ढूंढते रहे, लेकिन स्ट्रेचर नहीं मिला। इस पर परिजन एक हाथ में उसकी ड्रिप और दूसरे से उसे पकड़कर मेल मेडिकल वार्ड में ले गए, जहां डॉ. अरूण गौड़ ने तत्काल उसका इलाज शुरू करवाया।

स् के अभाव में पहले हो चुकी है मरीज की मौत

यूं तो अस्पताल में स्ट्रेचर, के अभाव में आए दिन मरीजों की हालत गंभीर हो जाती है और कई वार्ड में पहुंचने के बाद दम तोड़ देते है लेकिन चार माह पहले समय पर स्ट्रेचर नहीं मिलने से एक व्यक्ति की अस्पताल के गेट पर ही मौत हो गई थी। बिहार के सुरेन्द्र पुत्र खैली शाह (60) को अचानक श्वांस फूलने पर परिजन ऑटो में बिठाकर महात्मा गांधी चिकित्सालय लाए। परिजन अस्पताल में इधर-उधर स्ट्रेचर की तलाश में चक्कर लगा रहे थे पीछे से उसकी मौत हो गई।

पीएमओ बोले थे व्यवस्था करेंगे माकूल

चार माह पूर्व मरीज की मौत के बाद प्रमुख चिकित्साधिकारी डॉ. एसपी आगीवाल ने कहा था कि अस्पताल के आउटडोर में मरीज को लाने-ले जाने के लिए स्ट्रेचर व कर्मचारी की व्यवस्था रहती है। अगर कर्मचारी नदारद था तो मामले की जांच कर उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। लेकिन न तो कार्रवाई हुई और न ही कोई व्यवस्था में सुधार हुआ।