अधिकारियों पर दबाव, गुणवत्ता की जगह जल्दबाज़ी पर जोर, जर्जर भवनों को नजर अंदाज कर रही सर्वे टीम
झालावाड़ जिले में स्कूल हादसे के बाद सरकार ने पूरे प्रदेश में स्कूल, कॉलेज, आंगनबाड़ी केंद्रों और सड़कों के सर्वे के आदेश दिए हैं। लेकिन जिले में यह सर्वे अब सिर्फ "कागजी कार्रवाई " बन कर रह गया है। स्कूलों की स्थिति का गहराई से आंकलन करने के बजाय, सर्वे टीम महज 5 मिनट में औपचारिकता पूरी कर लौट रही है।
गांधीनगर स्कूल में टपकती छत, सिर्फ एक कक्ष सील
राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय गांधीनगर में बरसात के कारण छत से पानी टपक रहा है। सर्वे टीम ने एक जर्जर कमरे को सील तो किया, लेकिन अन्य कमरों की अनदेखी कर दी। छज्जा भी जर्जर हो चुका है और उसमें से सरिए बाहर निकल रहे हैं। थोड़ी तेज बारिश से वह कभी भी गिर सकता है।
राजेन्द्र मार्ग स्कूल में पोषाहार कक्ष की अनदेखी
राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय राजेन्द्र मार्ग स्कूल में एक कमरा क्षतिग्रस्त है, जहां से बारिश का पानी टपकता है। भले ही इसमें कक्षा नहीं लगती, लेकिन इस कमरे में पोषाहार बनाया जाता या उसका सामान रखा जाता है। बरसात के कारण वह सामान भी खराब हो रहा है। सर्वे टीम ने निरीक्षण किया लेकिन इस कमरे को सील नहीं किया गया, जिससे हादसे की संभावना बनी हुई है।
प्रशासन का दबाव: टीमों पर गुणवत्ता नहीं, गति का जोर
एक सर्वे टीम के सदस्य ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि अधिकारियों पर जल्द से जल्द सर्वे पूरा करने का दबाव है। इस वजह से वह सिर्फ सरकार की ओर से भेजे गए 27 बिंदुओं वाले परिपत्र को भर रहे हैं, जिसमें केवल "हां" या "ना" लिखना होता है।
गूगल शीट में होता तो पारदर्शिता रहती
एक अन्य अधिकारी का मानना है कि यह सर्वे परफोर्मा यदि गूगल शीट में होता, तो पारदर्शिता बनी रहती। इससे अधिकारी रीयल टाइम में देख सकते और जिला स्तर पर स्थिति की सही निगरानी हो सकती थी।
सतही सर्वे से नहीं रुकेंगे हादसे
गांधीनगर निवासी विवेक सालवी ने बताया कि इस क्षेत्र में कई स्कूलों की हालत खराब है। कोई भी टीचर कार्रवाई के भय से शिकायत तक नहीं करते है। जर्जर भवनों की अनदेखी और मात्र औपचारिकता से किए जा रहे निरीक्षण भविष्य में किसी बड़े हादसे को आमंत्रित कर सकते हैं। सरकार को सर्वे की गति के साथ उसकी गुणवत्ता और निष्पक्षता पर भी ध्यान देना चाहिए।