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गमगीन आंखों ने दी हेमेन्द्र सिंह बनेड़ा को अंतिम विदाई

देश के पहले युवा सांसद एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता हेमेन्द्र सिंह बनेड़ा का सोमवार को निधन हो गया। सिंह के सम्मान में मंगलवार को समूचा बनेड़ा कस्बा बंद रहा, लोगों ने मकानों व दुकानों की छतों व सड़कों से पुष्प वर्षा कर अपने लाड़ले को अंतिम विदाई दी।

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The bewildered eyes gave a final farewell to Hamendra Singh Banera

The bewildered eyes gave a final farewell to Hamendra Singh Banera


भीलवाड़ा। देश के पहले युवा सांसद एवं भाजपा के वरिष्ठ नेता हेमेन्द्र सिंह बनेड़ा का सोमवार को निधन हो गया। ७५ वर्षीय सिंह कोरोना संक्रमित थे। सिंह ने दोपहर में जयपुर के आरयूएचएस होस्पिटल में अंतिम सांस ली। सिंह दो बार सांसद रहने के साथ सरपंच भी रहे। सिंह बनेड़ा राजघराने के पूर्व राजाधिराज भी थे।

कोरोना संक्रमण की शिकायत होने पर उन्हें १२ मई २०२१ को भीलवाड़ा के महात्मा गांधी चिकित्सालय में भर्ती कराया गया। यहां हालत में सुधार नहीं होने पर १५ मई को जयपुर के आरयूएचएस होस्पिटल रैफर किया गया। यहां सोमवार दोपहर २.३० बजे उनका निधन हो गया। उनका पार्थिव शरीर मंगलवार सुबह जयपुर से बनेड़ा स्थित नजर बाग लाया गया। यहां कोविड गाइड लाइन के अनुसार पार्थिव देह को अंतिम दर्शन के लिए रखा गया। इसके बाद राजघराने की परम्परा के अनुसार उनकी अंतिम यात्रा शुरू हुई। सिंह के सम्मान में समूचा बनेड़ा कस्बा बंद रहा, लोगों ने मकानों व दुकानों की छतों व सड़कों से पुष्प वर्षा कर अपने लाड़ले को अंतिम विदाई दी। उनका पार्थिव शरीर महा सतिया मोक्षधाम लाया गया। यहां उनके पुत्र गोपाल चरण सिंह सिसोदिया ने मुखाग्नि दी। अंतिम संस्कार के दौरान पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी मौजूद थे।

राज्यपाल कलराज मिश्र, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सतीश पुनीया, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, दिग्विजयसिंह, भाजपा जिलाध्यक्ष लादूलाल तेली, जिला कलक्टर शिव प्रसाद नकाते व पुलिस अधीक्षक विकास शर्मा की तरफ से पुष्प चक्र चढ़ाए गए।

सिंह का जन्म १८ जनवरी १९४६ में हुआ। उन्होंने मेयो कॉलेज में शिक्षा ग्रहण की। वर्ष १९७१ में वह भारतीय जनसंघ से चुनाव लड़े, उन्होंने २५ वर्ष आठ दिन की आयु में नामांकन भरा और महज २५ वर्ष डेढ़ माह की उम्र में देश के पहले सांसद होने का गौरव पाया। इसके बाद वह वर्ष १९८७-८९ में बनेड़ा सरपंच रहे। सिंह ने वर्ष १९८९ में जनता दल से चुनाव लड़ा और विजयी हुए। उन्होंने संसद में संस्कृत में शपथ ली। सिंह इसके बाद भाजपा में ही सक्रिय रहे। सिंह रोडवेज के प्रबंधक भी रहे। विद्या प्रचारिणी सभा उदयपुर के कार्यकारी अध्यक्ष भी थे।

सिंह के परिवार में एक भाई व दो बहन है। छोटे भाई पराक्रम सिंह भी विधायक रह चुके है। जबकि सिंह के दो पुत्र व एक पुत्री है। पिता समरसिंह का अल्पआयु में ही निधन हो गया। उनके दादा अमर सिंह का ११ मई १९६६ को निधन हुुआ। २४ मई १९६७ को उन्हें बनेड़ा राजघराने की गद्दी में बैठाया। उनका विवाह भूतपूर्व ढाक काठियावाड़ राज्य के अधिपति हरीश चंद्र सिंह की पुत्री कौशल्या कुमारी से 20 जनवरी 1964 को हुआ।

भाजपा नेताओं ने जताया शोक
सिंह के निधन पर सांसद सुभाष चंद्र बहेडिय़ा, विधायक कैलाश मेघवाल, वि_ल शंकर अवस्थी, गोपाल खंडेलवाल, जब्बर सिंह सांखला व गोपी मीणा, जिलाध्यक्ष लादूलाल तेली तथा जिला प्रमुख बरजी बाई भील, सभापति राकेश पाठक, कालू लाल गुर्जर, रतन लाल जाट, दामोदर अग्रवाल, लक्ष्मी नारायण डाड आदि ने शोक जताया।