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भीलवाड़ा

पांडू के नाले में पसर रहा जंगल, कॉलोनियों का बना कचरा पात्र

पांसल गांव स्थित सांसियो की कुड़ी से प्रारम्भ होकर कोठारी नदीं में आकर मिल रहा नालासफाई के नाम पर हर साल लाखों खर्च फिर भी नहीं होती सफाई

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भीलवाड़ा. शहर का सबसे लम्बा व चौड़ा नाला पांडू का नाला सफाई नहीं होने से जंगल में तब्दील है। यहां झांडियों के साथ ही कंटीले पेड़ों का जाल गहराता जा रहा हैं। इस नाले में हर कोई अपने यहां होने वाली गंदगी को भी डाल रहा है। कई कॉलोनियों की सीवरेज लाइन भी नाले में ही खुल रही है। प्लास्टिक की गिलासें व कचरे के ढेर जगह-जगह जमे पड़े हैं।

यह नाला कहने को पांसल गांव से शुरू हो रहा है, लेकिन जगह-जगह अतिक्रमण होने से नाला प्रारम्भ में छोटा नाला बनकर रह गया है। करीब आठ किलोमीटर लम्बा यह नाला कभी पेयजल के प्रमुख मानी जानी वाली कोठारी नदीं में आकर मिल रहा है। यानी नाला तो गंदा है ही साथ ही कोठारी नदी को भी प्रदूषित कर रखा है।

पांसल की सासियों की कुड़ी से शुरू पांडू का नाला
नगर परिषद के पटवारी रतनलाल शर्मा का कहना है कि यह नाला परिषद के पास 1970 से है। इस नाले की शुरूआत पांसल गांव में स्थित सासियों की कुड़ी से प्रारम्भ होता है। जो विभिन्न कॉलोनियों से होता हुआ 100 फीट रोड से बाबाधाम, गायत्रीनगर, चपरासी कॉलोनी, सुभाषनगर, छोटी पुलिया, बड़ी पुलिया होते हुए भाजपा कार्यालय के आगे जाकर यह नाला टंकी के बालाजी के आगे जाकर कोठारी नदी में जाकर मिल रहा है।

जगह-जगह अतिक्रमण
पांडू के नाले पर जगह-जगह लोगों ने अतिक्रमण कर रखा है। इस नाले को किसी ने दो फीट तो किसी ने तीन फीट की जगह छोड़कर निर्माण कर लिया है। इसके कारण गायत्रीनगर व चपरासी कॉलोनी में थोड़ी सी बारिश में ही पानी भर जाता है।

झांडि़या पेड़ बन गए
क्षेत्र के राजेन्द्रसिंह का कहना है कि यह पांडू के नाले की पूरी तरह से सफाई नहीं होने से चपरासी कॉलोनी व गायत्रीनगर के लोगों को ज्यादा परेशानी होती है। प्रदूषित पानी का ठहराव होने तथा बदबू आने से लोगों का जीना दुश्वार हो रहा है। नाले में पहले झांडियां व बंबूल के घने पेड़ है। इसके कारण बरसात में पानी की निकासी भी सही ढंग से नहीं हो पाती है या एक फ्लो में पानी नहीं बहता है।

रेलवे अण्डर ब्रिज में भरता पानी
ऐसे तो यह नाला काफी चौड़ा व लम्बा है, लेकिन गायत्रीनगर जाने के लिए रेलवे अण्डर ब्रिज से होकर जाना पड़ता है। नाले की सफाई नहीं होने से बारसात के दिनों में तो यहां पर तीन से चार फीट पानी भर जाता है। इसके कारण लोगों को अपना रास्ता तक बदलना पड़ता है।

नाले में हर कोई डालता है कचरा
इस नाले के सहारे-सहारे कई दुकानदार व चाय व चाट पकौड़ी वाले अपने यहां से निकले वाले कचरे को भी नाले में डाल देते है। इसके कारण भी लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ता है। पुलिया पर लगने वाली चौपटी पर आने वाले लोग भी खाने के बाद दोने को नाले में डाल देते है। या रात को घर जाते समय ठेला वाला भी अपने कचरे को नाले में डाल जाते है।

कोठारी नदी हो रही प्रदूषित
कोठारी नदी को गंदे पानी से निजात दिलाने के लिए कई प्रयास किए गए लेकिन आज भी पांडू का नाला प्रदूषित पानी से मुक्त नहीं हो सका है। नाले में आरके कॉलोनी, आरसी व्यास कॉलोनी, रमा विहार, सुभाषनगर, मलाण, विजयसिंह पथिक नगर, ब्राह्मणों की नाडी, पथिक नगर, पंचमुखी के आसपास तथा औद्योगिक इकाइयों का दूषित पानी भी आ रहा है।
जल्द बनाएंगे सफाई की योजना
शहर के नालों की सफाई के लिए जल्द ही योजना बनाई जाएगी। पांडू का नाला बहुंत लम्बा व चौड़ा है। इसकी सफाई करवाई जाएगी।
राकेश पाठक, सभापति नगर परिषद भीलवाड़ा